स्थानांतरण नीति समीक्षा कमेटी की बैठक, शिक्षक संघों ने दिये ये सुझाव

झारखंड शिक्षा
Spread the love

रांची। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने राज्य के शिक्षकों के स्थानांतरण नीति पर विचार के लिए प्रोजेक्ट भवन स्थित MDI भवन में 19 जुलाई को बैठक की। इसमें राज्य के प्राथमिक, माध्यमिक और +2 शिक्षकों के स्थानांतरण के लिये नियम संशोधन कमेटी ने शिक्षक संघों के प्रतिनिधियों से सुझाव लिये।

उक्त कमेटी की बैठक की अध्यक्षता माध्यमिक शिक्षा निदेशक हर्ष मंगला ने की। अन्य सदस्यों के रूप में संयुक्त सचिव संदीप कुमार, विशेष कार्य पदाधिकारी सीके सिंह, माध्यमिक शिक्षा उपनिदेशक शिवेंद्र कुमार, दक्षिणी छोटानागपुर के आरडीडीई अरविंद विजय बिलुंग, शिक्षा परियोजना के प्रशासी पदाधिकारी जयंत मिश्रा उपस्थित थे।

शिक्षक संघों में अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों ने शिक्षकों की स्थानांतरण नीति बनाने के लिए अपने सुझाव से कमेटी को अवगत कराया। इस अवसर पर अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों में प्रदेश अध्यक्ष बृजेंद्र चौबे, महासचिव राममूर्ति ठाकुर, मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद, उपाध्यक्ष हरे कृष्ण चौधरी और कोषाध्यक्ष संतोष कुमार उपस्थित थे।

ये सुझाव दिये

पूर्व की भांति गृह प्रखंड में शिक्षकों के पदस्थापन का अवसर पुनर्बहाल किया जाए।

नई शिक्षा नीति में स्थानांतरण पर विशेष दबाव नहीं दिया गया है।

दिव्यांग, बीमार और महिला शिक्षकों को तत्काल गृह जिला में स्थानांतरण का अवसर मुहैया कराया जाए।

अति गंभीर बीमारी के आधार पर शिक्षकों के अंतरजिला स्थानांतरण के लिए विकास आयुक्त की अध्यक्षता वाली जटिल कमेटी समाप्त की जाए।

पति-पत्नी दोनों के किसी भी संस्थान में सेवारत होने पर एक दूसरे के जिले में स्थानांतरण का अवसर देना मान्य हो। इसके निमित झारखंड सरकार, भारत सरकार, पीएसयू आदि संस्थानों को भी दायरे में लिया जाए।

अपने गृह जिले से बाहर पदस्थापित सभी कोटि के इच्छुक शिक्षकों को उनके गृह जिले में पदस्थापित करने के लिए अंतर जिला स्थानांतरण का नियम बनाया जाए।

अंतरजिला स्थानांतरण में शिक्षकों से पारस्परिक आवेदन प्राप्त होने पर इसे तत्काल स्वीकृति प्रदान की जाए।

अंतरजिला स्थानांतरण में प्राप्त एकल आवेदनों को भी यथासंभव मान्य किया जाए।

राज्य के बाहर के शिक्षकों को भी उनके सीमावर्ती जिले के लिए अंतरजिला स्थानांतरण का प्रावधान हो।

जिला के अंदर पांच जोन की अव्यावहारिक व्यवस्था को समाप्त करते हुए सिर्फ ग्रामीण और शहरी जोन बनाया जाए।

शिक्षकों के स्थानांतरण-पदस्थापन को मकान भाड़ा भत्ता से जोड़ने के अव्यावहारिक नियम को समाप्त किया जाए।

जिला के अंदर भी स्थानांतरण में पारस्परिक (मैचुवल) आवेदन को मान्य किया जाए।

शिक्षकों के ऐच्छिक स्थानांतरण की सीमा तक ही नियम प्रावधानित हो। और शिक्षकों का जबरन स्थानांतरण नहीं किया जाए।

जिलों में पहले से लंबित प्रोन्नतियों को निष्पादित करने के बाद ही स्थानांतरण की कार्रवाई प्रारंभ की जाए, ताकि शिक्षकों को जल्दी जल्दी स्थानांतरण की स्थिति नहीं उत्पन्न हो।