राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस पर 6.40 करोड़ की परिसंपत्तियों का वितरण

कृषि झारखंड
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  • राज्य भर के 1347 लाभुक 16 प्रकार की परिसंपत्तियों से लाभांवित हुए
  • रांची में छात्रावास और दुमका में खुदरा मत्स्य बाजार का हुआ उद्घाटन

रांची। झारखंड की पहचान खनिज के क्षेत्र में अधिक है। वर्तमान सरकार का प्रयास है कि देश-दुनिया में झारखंड मत्स्य पालक, पशुपालक और प्रगतिशील किसानों वाले राज्य के रूप में भी अपनी अमिट छाप छोड़े। यह स्वरोजगार का बड़ा माध्यम हो सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले युवा, महिला और किसानों की आजीविका एवं आर्थिक स्वावलंबन का वाहक बन सकता है। झारखंड में जलाशयों की कमी नहीं है। ग्रामीणों की सहभागिता से झारखंड मत्स्य उत्पादन में अग्रणी राज्य बन सकता है। ये बातें मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कही। वे राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस -2021 के अवसर पर ऑनलाइन 24 जिला के मत्स्यपालक एवं लाभुकों को संबोधित कर रहे थे।

केसीसी से आच्छादित होंगे किसान

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को केसीसी का लाभ देने की प्रक्रिया चल रही है। अधिक से अधिक किसानों को इसका लाभ प्राप्त हो। इस निमित कार्य किया जा रहा है। जिला स्तर पर जरूरतमंदों से आवेदन लेने का निर्देश दिया गया है। केसीसी नहीं मिलने की परेशानी किसानों ने मुख्यमंत्री से साझा की। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि शीघ्र केसीसी से संबंधित समस्या का समाधान कर लिया जाएगा।

मांग के अनुरूप होगा मछली उत्पादन

मुख्यमंत्री ने कहा कि बाजार में मछली के प्रकारों की मांग के अनुरूप मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए देश के विभिन्न बड़े मछली बाजार का आंकलन किया जा रहा है। सरकार जल्द इसपर अंतिम निर्णय लेकर कार्य करेगी, ताकि किसानों की दक्षता को निखारा जा सके।

संसाधन बढ़ाने की योजना बन रही है

मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण आबादी की आर्थिक समृद्धि के लिए उनके लिए संसाधन जुटाने की योजना पर काम हो रहा है। सरकार राज्य के विभिन्न जलस्रोतों, तालाब, जलाशयों का व्यापक उपयोग कर मछली पालन को बढ़ावा देने का काम कर रही है। ऐसा कर झारखंड मछली उत्पादन में अग्रणी राज्यों की श्रेणी में आ सकता है। झारखंड का जनमानस की खेती के साथ-साथ पशुपालन में ऐतिहासिक भूमिका रही है। यही वजह है कि पशुधन योजना लागू की गई, जिससे पशुपालन कर राज्य की ग्रामीण आबादी लाभांवित हो रही है।

चाईबासा उपायुक्त चाईबासा को यह निर्देश

मुख्यमंत्री ने लाभुकों से बात करने के क्रम में चाईबासा उपायुक्त को मत्स्य कृषकों के लिए मत्स्य बाजार निर्माण करने का आदेश दिया, ताकि मत्स्य पालकों को सुविधा हो। बाजार नवनिर्मित मत्स्य बाजार दुमका के समतुल्य हो। साथ ही, बंद हो चुके खुले खनन क्षेत्र में डीएमएफटी से केज कल्चर और आरएसी को बढ़ावा दें।

मुख्यमंत्री ने लाभुकों ने किया यह आग्रह

सोरेन ने लाभुकों से आग्रह किया कि खाली पड़े सभी जलाशयों में मछली पालन का कार्य करें। सरकार आपको हर तरह से सहयोग करेगी।

मत्स्य के क्षेत्र में यह है उपलब्धि

★ वर्ष 2020-21 में राज्य में 2 लाख 38 हजार मीट्रिक टन मछली का उत्पादन, चालू वित्तीय वर्ष में 2 लाख 65 हजार मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य।

★ स्थानीय स्तर पर मछली के बीज की उपलब्धता के लिए 7500 प्रशिक्षित मत्स्य बीज उत्पादकों के माध्यम से राज्य एक हजार करोड़ मत्स्य बीज के उत्पादन की ओर अग्रसर।

★ वित्तीय वर्ष 2021-22 में 567 लाख मत्स्य अंगुलिकाएं विभिन्न जलाशयों में संचित की जा रही है।

इन परिसंपत्तियों का हुआ वितरण

मछली के जीरा के लिए फीड, बीज उत्पादन के लिए फ्राई कैचिंग नेट, ग्रो-आउट नेट, मछली का स्पान, मछली पालन के लिए बायोफलाक, री-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम, ई-रिक्शा/ऑटो-रिक्शा के साथ आईस बॉक्स, साईकल के साथ आईस बॉक्स, नाव, मत्स्य बीज उत्पादन हेतु हैचरी, मत्स्य बिक्री स्टॉल वितरण, लघु फिश फीड मिल, आईस प्लांट निर्माण, लाइफ जैकेट और तालाब तालाब निर्माण के लिए अनुदान।

इस अवसर पर कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री बादल पत्रलेख, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, सचिव कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता अब्बू बकर सिद्दीख पी, निदेशक मत्स्य एचएन द्विवेदी व अन्य उपस्थित थे।