- झारखंड में शिक्षा पर केन्द्रित सामाजिक जिम्मेदारी की अनूठी रणनीतियों के लिये सम्मानित
रांची। टाटा ट्रस्ट्स की कलेक्टिव्स फॉर इंटीग्रेटेड लाइवलीहूड्स इनिशियेटिव (सिनी) को मास्टर ट्रांफॉर्मेशन कॉन्फ्रेंस (एमटीसी) में प्लेटिनम पुरस्कार मिला है। एमटीसी का आयोजन एफजीएनसी कंसल्टिंग द्वारा किया गया था, जिसमें यह पुरस्कार जनजातीय समुदाय पर केन्द्रित शैक्षणिक पहलों के लिये दिया गया है।
जनजातीय छात्रों की शैक्षणिक यात्रा में महामारी एक बाधा रही है। स्कूल बंद होने के कारण छात्रों की पढ़ाई बाधित हुई। वे अपने समुदायों से बाहर के लोगों से भी पढ़ने के लिये जुड़े नहीं रह सके। इनमें से अधिकांश छात्र डिजिटल सुविधाओं से वंचित हैं। उनके पास उपकरण या सेल्युलर नेटवर्क्स नहीं हैं, जिससे रचनात्मक वर्षों में उनकी पढ़ाई अवांछित तरीके से बाधित हुई है। टाटा ट्रस्ट्स की सिनी को पता है कि शिक्षा के अभाव से भविष्य के अवसर कैसे प्रभावित हो सकते हैं। इसलिये, इस प्रभाव को कम करने के लिये उसने संबद्ध पहलों की शुरुआत की और उन्हें कार्यान्वित किया।
अवार्ड जीतने पर सिनी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर गणेश नीलम ने कहा, ‘झारखंड के सरकारी स्कूलों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंचाने के लिये हमने जो प्रयास किये थे, उन्हें सम्मान देने के लिये हम एमटीसी और जिला शिक्षा विभाग को धन्यवाद देते हैं। हमारा लक्ष्य है बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों की पढ़ाई के स्तर को बेहतर बनाना और स्कूल प्रबंधन समितियों के साथ प्रभावी ढंग से जुड़ना। हम ऐसे तंत्र को बढ़ावा देने की उम्मीद करते हैं, जिसमें शिक्षा बच्चों को नई ऊंचाई छूने और अपने तथा अपने समुदाय का भविष्य उज्जवल बनाने में सक्षम बनाए।’
महामारी के कारण परिवहन सीमित होने और संसाधनों के अभाव के बावजूद सिनी 50,888 छात्रों, 700 से ज्यादा स्वयंसेवियों और 2000 से ज्यादा शिक्षकों तक एक प्रमाण-आधारित समाधान के माध्यम से पहुंची थी। इस प्रकार उसने जनजातीय छात्रों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच के अंतर को भरने का प्रयास किया।
लॉन्च की गई कुछ पहलें
पढ़ाई की स्थानीय संस्कृति और तंत्र को बढ़ावा देने के लिये रीजनल वालंटीयरशिप प्रोग्राम
झोला लाइब्रेरी, जिसमें वालंटीयर्स गांव के छात्रों को पब्लिक स्कूल की लाइब्रेरी से किताबें लाकर देते हैं, ताकि उनकी पढ़ाई और पढ़ाई से जुड़ाव जारी रहे
लोकल लीडर्स और वालंटीयर्स ने अपने फोन के जरिये छात्रों के एक छोटे ग्रुप को यूट्यूब पर डिजिटल लेसंस तक पहुंच दी