सर्वोच्च न्यायालय का आदेश शीघ्र लागू करे झारखंड सरकार, अन्यथा आंदोलन होगा : अजय राय

झारखंड
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रांची। सर्वोच्च न्यायालय ने राजस्थान के शैक्षणिक सत्र 2020-21 के स्कूल फीस के मसले पर सुनवाई के बाद स्कूल प्रशासन और अभिभावकों को कई दिशा निर्देश दिए हैं। इसके तहत कोई भी स्कूल सत्र 2020-21 में फीस 15% कम वसूल करें। कोर्ट ने कहा कि फीस का भुगतान नहीं होने पर किसी भी छात्र को वर्चुअल या भौतिक रूप से कक्षा में शामिल होने से रोका नहीं जाए। उनका परिणाम भी नहीं रोका जाए। शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए छात्रों या अभिभावकों द्वारा शुल्क का भुगतान छह बराबर किस्तों में किया जाएगा।

इस निर्णय का झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन ने स्‍वागत किया है। अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से देश के करोड़ों अभिभावकों में एक आस जगी है कि अब उन्हें समुचित न्याय मिलेगा।

राय ने झारखंड सरकार से मांग की है कि वह सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को देखते हुए झारखंड के सभी प्राइवेट स्कूलों के लिए एक सर्कुलर जारी करें। जिन स्कूलों ने ऑनलाइन क्लास के नाम पर पूरी फीस के साथ-साथ अन्य कई तरह का फीस अभिभावकों से वसूला है, उसे वह वापस करें या ट्यूशन फीस में समायोजित करें।

अध्‍यक्ष ने कहा कि झारखंड में प्राइवेट स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस के अलावा बिल्डिंग फंड, डेवलपमेंट फंड, एनुअल फीस, री-एडमिशन, लैब चार्ज, कंप्यूटर फीस, स्मार्ट क्लास मेंटेनेंस सहित कई मद में फीस लिया गया है। ऐसे भी यह झारखंड सरकार के 25 जून, 2020 के फैसले के विरूद्ध है।

राय ने कहा कि झारखंड सरकार इस पर अभिलंब कोई निर्णय नहीं लेती है तो झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन आंदोलन के साथ साथ कोर्ट का दरवाजा खटखटाने से भी पीछे नहीं हटेगा।