अनिल बेदाग
मुंबई। त्वचा के नीचे दिखने वाली नीली नसों पर आपने भी गौर किया होगा। हालांकि कभी सोचा नहीं होगा कि ये नसें तकलीफदेह भी हो सकती हैं। त्वचा की सतह के नीचे की ये नसें जब बढ़ने लगती हैं, त ये वैरिकोज वेंस कहलाती है। सबसे अधिक प्रभावित नसें व्यक्ति के पैरों और पैरों के पंजों में होती हैं। कभी-कभी यह गंभीर समस्या का रूप ले लेती है। यह शरीर में रक्त संचार संबंधी समस्याओं के जोखिम के बढ़ने का संकेत भी हो सकती हैं।
टिश्यूज से नसें रक्त को हृदय की ओर ले जाती हैं। गुरुत्वाकर्षण के विपरीत नसें रक्त को पैरों से हृदय में ले जाती हैं। इस प्रवाह को ऊपर ले जाने में मदद के लिए नसों के अंदर वॉल्व होते हैं। जब वॉल्व दुर्बल हो जाते हैं, तब रक्त सही तरीके से ऊपर की ओर चढ़ नहीं पाता। कभी-कभी नीचे की ओर बहने लगता है। ऐसी स्थिति में नसें फूल जाती है और लंबाई बढ़ जाने से टेढ़ी-मेढ़ी भी हो जाती हैं। यही वैरिकोज वेंस है। वैरिकोज वेंस में बेहद खतरनाक अल्सर बन सकते हैं।
मुंबई के जेजे अस्पताल एवं ग्रांट मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर और इंटरविंशनल रेडियोलाजिस्ट डॉक्टर शिवराज इंगोले का कहना है कि कोई भी नस वैरिकोज वेंस हो सकती है। वैरिकोज वेंस की समस्या का कारण बढ़ती उम्र, मोटापा, लंबे समय तक खड़े रहना या बैठना, जन्म के समय से ही क्षतिग्रस्त वॉल्व हो सकता है। जब नसों में रक्त का सही संचार नहीं होता है, तब इसमें सूजन आने लगती हैं। इस लक्षण के अलावा और भी लक्षण होते हैं, जो वैरिकोज वेंस के कारण होते हैं। आमतौर पर लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं। वैरिकोज वेंस की स्थिति में पैरों में दर्द, भारीपन होता है। अगर इनमें से कोई भी लक्षण ज्यादा समय से दिख रहे हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर नसों की जांच करेंगे और रक्त का प्रभाव जांचने के लिए अल्ट्रासाउंड भी करवा सकते हैं।
डॉ शिवराज कहते हैं कि वैरिकोज वेंस से बचने के लिए भी जीवनशैली पर ध्यान देना होगा। इससे बचने के लिए वजन को संतुलित रखने की बहुत जरूरत है। ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें, लगातार ज्यादा देर तक बैठने या खड़े रहने से बचें। कुछ देर बैठने के बाद थोड़ा चलते-फिरते रहें। शारीरिक क्रिया जैसे योग या व्यायाम नियमित रूप से करें। ज्यादा फाइबर और कम नम वाला भोजन लें।