झारखंड की घोषित राजकीय मछली देशी मांगुर की जानें खूबी

झारखंड कृषि
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रांची। झारखंड सरकार ने देशी मांगुर को राज्य की राजकीय मछली घोषित किया है। किसी भी राज्य में राजकीय मछली घोषित करने का मुख्य उद्देश्य उस चयनित मछली की जनसंख्या में वृद्धि करना और उनका संरक्षण करना है।

जैव विवधता के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से वर्ष 2006 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के लखनऊ स्थित राष्ट्रीय मत्स्य आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो ने राजकीय मछली की अवधारणा लायी। अब तक 23 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने इस अवधारणा को अपनाते हुए अपने-अपने राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के अंतर्गत राजकीय मछली घोषित किया है।

राष्ट्रीय मत्स्य आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो के अनुसार किसी भी राज्य की राजकीय मछली घोषित करने के लिए चयनित मछली का उपयोग खाद्य/सजावट/संरक्षण के दृष्टिकोण से उपयुक्त होना, उसका क्षेत्रीय अथवा सांस्कृतिक महत्त्व एवं चयनित मछली प्रजाति का बीज उत्पादन की तकनीक अथवा तकनीकी विकास कार्यक्रम सुनिश्चित होना आवश्यक है।

झारखंड के परिप्रेक्ष्य में उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्धता, औषधीय गुण और अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature) द्वारा संकटग्रस्त प्रजातियों की श्रेणी में सूचीबद्ध होने के कारण देशी मांगुर को राज्य का राजकीय मछली घोषित किया गया है। यह बिहार की भी राजकीय मछली है।

देशी मांगुर मछली मैदानी इलाकों के मीठे और खारे पानी के स्रोतों में मुख्य रूप से स्थिर और कीचड़ वाले पानी के स्रोतों जैसे तालाब, गड्ढ़े और दलदल आदि में पायी जाती है। यह सर्वाहारी मछली है जो कीड़े-मकौड़े, कीड़े-मकौड़े के लार्वा, छोटे–बड़े क्रस्टेशियंस, छोटी मछलियां और सड़े-गले मलबे अथवा कार्बनिक पदार्थ एवं तालाब के तल पर उगे शैवाल और छोटे पौधों का सेवन करती है। यह मछली अपने औषधीय गुणों के कारण महत्वपूर्ण है।

राजकीय मछली के रूप में घोषित किए जाने के बाद अब इसके संरक्षण, संवर्धन और सतत प्रबंधन के लिए राज्य सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं, जनजागरुकता कार्यक्रमों और वैज्ञानिक संस्थानों के सहयोग से विशेष पहल की जाएगी।

देशी मांगुर के प्राकृतिक आवासों की रक्षा, कृत्रिम प्रजनन तकनीकों के विकास, गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन और मत्स्य किसानों के प्रशिक्षण के लिए भी विस्तृत कार्यक्रम लागू किए जाएंगे। राजकीय मछली घोषित होने से इसे कानूनी और प्रशासनिक समर्थन प्राप्त होगा। इससे इसकी घटती जनसंख्या में वृद्धि होगी। राज्य में मत्स्य आधारित आजीविका को भी बढ़ावा मिलेगा।

इस प्रकार देशी मांगुर मछली का संरक्षण जैव विविधता को मजबूत करने के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक महत्त्व की रक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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