​​रासायनिक, जैविक ​और परमाणु युद्ध ​का प्रशिक्षण लेंगीं तीनों सेनाएं

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  • सेनाओं का पुनर्गठन ​होने के बाद बनेंगे संयुक्त सेवा प्रशिक्षण संस्थान
  • प्रशिक्षण संस्थान​ ​​​स्कूल ऑफ फॉरेन लैंग्वेज ​​के रूप में भी कार्य करेंगे 

नई दिल्ली। सेना का आधुनिकीकरण होने के बाद तीनों सेनाओं को संयुक्त रूप से ​​रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल ​​और परमाणु युद्ध ​(सीबीआरएन) ​का प्रशिक्षण दिया जाएगा। तीनों ​​सेनाओं के पुनर्गठन की चल रही प्रक्रिया के दौरान एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यालय ​​संयुक्त सेवा प्रशिक्षण संस्थानों को भी अंतिम रूप दे रहा है, जहां सेना, नौसेना और वायु सेना के अधिकारियों को चुनिंदा विषयों में संयुक्त प्रशिक्षण दिया जाएगा।​​​  

सेनाओं का नया ढांचा बनने के बाद थल सेनाध्यक्ष, वायु सेना प्रमुख और नौसेनाध्यक्ष के पास ऑपरेशनल जिम्मेदारी नहीं होगी लेकिन अमेरिकी सेना की तर्ज पर ​बनाए गए ​थिएटर कमांड के लिए संसाधन जुटाना इन्हीं के जिम्मे रहेगा।​ एकीकृत कमांड के तहत सेना, वायु सेना और नौसेना की इकाइयां रहेंगीं, जिसके परिचालन के लिए तीनों सेनाओं में से एक-एक अधिकारी को शामिल किया जायेगा। ​सेनाओं के पुनर्गठन की चल रही प्रक्रिया के दौरान एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यालय ​​संयुक्त सेवा प्रशिक्षण संस्थानों को ​भी ​अंतिम रूप दे रहा है, जो सेना, नौसेना और वायु सेना के अधिकारियों को चुनिंदा विषयों में संयुक्त प्रशिक्षण प्रदान करेगा​​। 

सूत्रों ने बताया कि​ संयुक्त रूप से​ ​प्रशिक्षण दिए जाने वाले विषयों में खुफिया, सैन्य कानून, ​​​​रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु युद्ध​ को भी शामिल ​किया जायेगा। ​यह ​​​​​संयुक्त सेवा प्रशिक्षण संस्थान​ ​​उन मौजूदा संस्थानों से संचालित होगा, जहां वर्तमान में सेवाएं उपलब्ध हैं।​​ ​भारतीय सेना​ इंटेलिजेंस,​ ​​रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु युद्ध​ का प्रशिक्षण देने वाले ​संयुक्त सेवा प्रशिक्षण संस्थान​ का नेतृत्व करेगी​।​​ ​इसके अलावा ​यह ​संयुक्त सेवा प्रशिक्षण संस्थान​ ​​​स्कूल ऑफ फॉरेन लैंग्वेज ​​के रूप में भी कार्य करेंगे। यह संस्थान, जो अन्य देशों के सशस्त्र बलों के अधिकारियों को देखता है, रक्षा सहयोग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो सैन्य कूटनीति का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जहां​ चीनी​ में विशेषज्ञता महत्वपूर्ण है।

​मंदारिन या रूसी जैसी विदेशी भाषाओं​ के लिए ​1948 में स्थापित ​​​स्कूल ऑफ फॉरेन लैंग्वेज​ ​को 2017 में एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यालय के प्रशासनिक नियंत्रण में लाया गया था।​ पहले तीनों सेवाओं ​की संयुक्त प्रशिक्षण कमान ​बनेगी ​और अगले चरण में एयर डिफेंस कमांड जैसे प्रमुख थिएटर कमांड ​बनने पर इसे आगे ले जाने की संभावना है।​​ नरेंद्र मोदी सरकार ने ​​2016 में​ ​​सशस्त्र बलों की लड़ाकू क्षमता और असंतुलन रक्षा व्यय बढ़ाने के उपायों की सिफारिश करने के लिए विशेषज्ञों की शेखतकर समिति का गठन किया था।​ इस पैनल ने कम से कम 10 विषयों सीबीआरएन, सैन्य कानून, संगीत, खानपान, खुफिया और सूचना युद्ध के साथ-साथ यूएवी, वायु रक्षा हथियार प्रणाली, हेलीकॉप्टर​ और ​शारीरिक प्रशिक्षण (पीटी) ​के ​संयुक्त प्रशिक्षण ​की सिफारिश की थी।