लंबे समय से एक ही कार्यालय में जमे कंप्यूटर ऑपरेटर को हो तबादला

झारखंड
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  • अनुमंडल पदाधिकारी के समक्ष प्रज्ञा केंद्र संचालकों एवं सीएससी ऑपरेटरों ने रखी समस्‍याएं

विश्वजीत कुमार रंजन

गढ़वा। अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने “कॉफी विद एसडीएम” कार्यक्रम के तहत प्रज्ञा केंद्र संचालकों एवं सीएससी ऑपरेटरों के साथ संवाद  गुरुवार को किया। इसमें संचालकों ने अपने दैनिक कार्यों में आने वाली व्यावहारिक समस्याओं और सरकारी कर्मियों के स्तर से आने वाली समन्वयात्मक समस्याओं को एसडीएम के समक्ष रखा।

इस अवसर पर दोनों डिस्ट्रिक्ट सीएससी मैनेजर मनीष कुमार व कौशल किशोर के अलावा विभिन्न प्रखंडों से आए लगभग तीन दर्जन से अधिक प्रज्ञा केंद्र संचालक मौजूद रहे।

नवादा मोड़ पर स्थित राज किरण प्रज्ञा केंद्र के संचालक गौतम कश्यप एवं बीस से अधिक अन्य प्रज्ञा केंद्र संचालकों ने कहा कि मजदूरों के कल्याण के लिए चल रही श्रमाधान योजना के क्रियान्वयन में काफी गड़बड़ी है। इसके चलते प्रज्ञा केंद्र संचालकों की झूठी बदनामी हो रही है, जबकि उनका इसमें कोई योगदान नहीं है।

इन लोगों ने आरोप लगाया कि कुछ बिचौलिए प्रकृति के लोग आवेदन करने के नाम पर मजदूरों से 300 से लेकर ₹500 तक ले रहे हैं, इतना ही नहीं उनके खाते में डीबीटी के माध्यम से आने वाले ₹5000 में से भी कुछ बिचौलिए आधी राशि वापस मांग ले रहे हैं। आम मजदूरों को लगता है कि वे बिचौलिए लोग भी प्रज्ञा केंद्र संचालक हैं।

प्रज्ञा केंद्र संचालकों ने एसडीएम को बताया कि कई लोग बिना आधिकारिक आईडी लिए ही अपने यहां प्रज्ञा केंद्र का बोर्ड लगाकर बैठ गए हैं। ऐसे ज्यादातर लोग गलत कार्यों में संलिप्त हैं। जब ये लोग किसी से धोखाधड़ी करते हैं तो बदनामी प्रज्ञा केंद्र संचालकों की होती है। इसलिए ऐसे लोगों पर उचित कार्रवाई की जाए ।

पंचायत भवन में कार्यरत कुछ प्रज्ञा केंद्र संचालकों ने बताया कि हर महीने रखरखाव के नाम पर प्रत्येक मुखिया को ₹15000 मिलते हैं, किंतु उस राशि में से  मुखिया द्वारा कुछ भी खर्च नहीं किया जा रहा है। यहां तक कि साफ सफाई भी उन्हें खुद अपने हाथ से करनी पड़ रही है। महुलिया पंचायत के वीएलई ने आरोप लगाया कि उनके प्रज्ञा केंद्र में गेट तक नहीं है।

गढ़वा मेन रोड के सीएससी संचालक प्रतीक राज सोनी ने बताया कि नागरिकों द्वारा उनके यहां ऑनलाइन फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन करने के कारण उनके बैंक अकाउंट को संदिग्ध मानते हुए सीज कर दिया गया है। कुछ ऐसी ही समस्या अन्य संचालकों ने रखीं, जिस पर एसडीएम ने कहा कि उन्हें इस संबंध में बैंकिंग नियमों की गहरी जानकारी नहीं है किंतु एलडीएम से इस संबंध में समन्वयात्मक सहयोग के लिए कहेंगे।

प्रज्ञा केंद्र संचालकों ने कहा कि वे नागरिकों के आवेदन अपलोड कर करते हैं, किंतु उनकी प्रोसेसिंग लंबे समय तक संबंधित कार्यालय में काम करने वाले ऑपरेटर की मनमानी के चलते लटकी रहती है। पब्लिक बार-बार उनके यहां पूछने आती है। जब नागरिक स्वयं उन कंप्यूटर ऑपरेटर के पास जाकर मिलते हैं तब जाकर उनका काम होता है, ऐसे में उन्होंने कंप्यूटर ऑपरेटर पर मनमानी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए।

साथ ही मांग की कि लंबे समय से एक ही कार्यालय में जमे कंप्यूटर ऑपरेटर को स्थानांतरित किया जाए। प्रज्ञा केंद्र संचालकों ने सबसे ज्यादा शिकायतें बिजली विभाग, श्रम विभाग और प्रखंड-अंचल को लेकर कीं। इस पर एसडीएम में कहा कि वे मामले को वरीय पदाधिकारियों के संज्ञान में लायेंगे।

कई प्रज्ञा केंद्र संचालकों ने बताया कि उनके यहां से जो नागरिक सभी डाक्यूमेंट्स के साथ विभिन्न सेवाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन करते हैं, उसमें से कुछ कार्यालय के कर्मी/ पदाधिकारी पात्र लाभुकों के भी आवेदन बिना तर्क/ कारण रिजेक्ट कर देते हैं, जिससे पब्लिक और प्रज्ञा केंद्र संचालक दोनों परेशान होते हैं।

डंडई प्रखंड के रारो के प्रज्ञा केंद्र संचालक दशरथ कुमार सिंह बताते हैं कि उनके यहां से आवेदन करने वाले कई जाति, आवासीय प्रमाण पत्र के आवेदनों को “ओके”  लिखकर रिजेक्ट कर दिया जा रहा है। एक तरफ राजस्व कर्मचारी “ओके”  लिखते हैं, दूसरी तरफ रिजेक्ट कर देते हैं इससे ऊहापोह की स्थिति हो जाती है।

एसडीएम ने कहा कि ऐसे मामलों के स्क्रीनशॉट उन्हें उपलब्ध करवायें, इस प्रकार के अधिकारी/ कर्मचारियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा तो करेंगे ही झारखंड राइट टू सर्विस एक्ट 2011 के तहत अर्थ दंड भी लगवाएंगे।

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