रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ एमपी पांडेय के निधन पर वृहस्पतिवार को विश्वविद्यालय के प्रबंध पर्षद कक्षा में एक शोक सभा हुई।
सभा में कुलपति डॉ एससी दुबे सहित वरिष्ठ पदाधिकारियों ने उनके मानवीय गुणों, प्रशासनिक क्षमता और वैज्ञानिक अवदानों को याद किया। दो 2 मिनट का मन रखकर उनकी आत्मा की शांति और सद्गति के लिए प्रार्थना की।
उनका निधन 8 सितंबर को काठमांडू में हो गया था, जहां वह अपने छोटे पुत्र के पास स्वास्थ्य लाभ करने गए थे। उनका जन्म भी 8 सितंबर को ही वर्ष 1946 में प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
वह वर्ष 2011 से 2014 तक बीएयू के कुलपति थे। इसके पूर्व वह इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के भी कुलपति रह चुके थे।
अपने करियर की शुरुआत उन्होंने गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर, उत्तराखंड से सहायक प्राध्यापक के रूप में की थी। बाद में वह वहां आनुवंशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग के अध्यक्ष बने।
राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक, ओडिशा के निदेशक रहे। विजिटिंग साइंटिस्ट के रूप में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, फिलिपींस में भी कार्य किया।
संयुक्त राष्ट्र की संस्था खाद्य एवं कृषि संगठन के परामर्शी भी रहे। भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ के महासचिव और इंडियन सोसाइटी ऑफ जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी।
एक पौधा प्रजनन विशेषज्ञ के रूप में उन्होंने चावल और दलहनी फसलों के 20 प्रभेद विकसित किये जिन्हें देश के विभिन्न क्षेत्रों के लिए जारी किया गया। पब्लिक सेक्टर द्वारा जारी किया गया धान का पहला हाइब्रिड प्रभेद पंत शंकर धान-1 उन्होंने ही विकसित किया था।
देश विदेश के प्रतिष्ठित जर्नल में उनके 252 शोध पत्र प्रकाशित थे। प्रमुख गाइड के रूप में उन्होंने 32 एमएससी और पीएचडी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया।
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