परिणय सूत्र में बंधे अनुसूचित जनजाति समुदाय के 105 जोड़े

झारखंड
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खूंटी। बिना विवाह के पति-पत्नी की तरह रह रहे 105 जोड़ोंं को जिला प्रशाासन की पहल पर सामाजिक और सरकारी मान्यता मिल गयी। स्थानीय बिरसा कॉलेज स्टेडियम प्रांगण में रविवार को ढोल, नगाड़े और शहनाई की धुन के बीच 105 जोड़े स्वयंसेवी संस्था निमित्त और जिला प्रशासन की पहल से विधिवत वैवाहिक सूत्र में बंध गये।

जिले भर में रह रहे ऐसे जोड़ों को खोज कर विवाह मंडप तक लाने और विधिवत विवाह के लिए मनाने में जिला प्रशासन और स्वयंसेवी संस्था निमित्त को काफी मशक्कत करनी पड़ी होगी। बहरहाल, इस वृहद अनूठे आयोजन के लिए लोग जिला प्रशासन की सराहना कर रहे हैं। परिणय सूत्र में बंधने वाले सभी जोड़े अनुसूचित जनजाति के सरना समुदाय के हैं। वैवाहिक सूत्र में बंधने वाले सभी 105 जोड़े एक दूजे के साथ बर्षों से रहते आ रहे हैं। परिणय सूत्र में बंधने वाले कई जोड़ीदार तो बाल बच्चेदार थे। कई जोड़े तो काफी उम्रदराज थे।

उल्लेखनीय है कि आदिवासी समाज में औपचारिक शादी के बिना पति-पत्नी की तरह साथ रह रहे जोड़ों को ढुकू कहते हैं। ऐसे जोड़ों को समाज से मान्यता नहीं मिलने के कारण उन्हें सामाजिक रूप से काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सामाजिक कुप्रथा के कारण ऐसे जोड़ों में अगर पुरुष पार्टनर की मृत्यु हो जाती है, तो उसकी जमीन व संपत्ति पर उसके महिला पार्टनर या बच्चों को अधिकार नहीं मिलता। वहीं, महिला पार्टनर की असामयिक मृत्यु होने पर सामूहिक कब्रिस्तान में अंतिम क्रियाकर्म का अधिकार नहीं दिया जाता। साथ ही उनके बच्चों को भी सामाजिक परेशानी का दंश झेलना पड़ता है।

आदिवासी समाज में यह भी प्रावधान है कि विधिवत शादी की मान्यता के लिए समाज व कुटुंब के लोगों को भोज खिलाना पड़ता है, लेकिन गरीबी व आर्थिक तंगी के कारण बहुत से जोड़े कुटुंब व समाज को भोज खिलाने में असमर्थ होते हैं। यही कारण है कि औपचारिक शादी के बिना साथ जीवन यापन करना उनकी मजबूरी हो जाती है। ऐसे ही जोड़ों को समाज से मान्यता दिलाने और और सम्मान से जीवन यापन करने के लिए निमित्त संस्था द्वारा ऐसे सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आयोजन किया जाता रहा है।

वर्ष 2016-17 से किये जा रहे ऐसे कार्यक्रमों में अब तक 630 जोड़ों का विधिवत विवाह कराया गया है। विवाह सूत्र में बंधे सभी जोड़ों को सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए उपहार स्वरूप कपड़े, बर्तन व अन्य जरूरी सामान भेंट किए गए। साथ ही सभी जोड़ों को मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का लाभ तथा भविष्य में  रजिस्टर्ड विवाह प्रमाण पत्र भी उपलब्ध कराया जाएगा। विवाह समारोह के बाद प्रीतिभोज का भी आयोजन हुआ, जिसमें विवाह बंधन में बंधे जोड़ों के स्वजन व कुटुंब भी शामिल हुए।

इस अवसर पर समारोह में उपस्थित उपायुक्त शशि रंजन, पुलिस अधीक्षक आशुतोष शेखर, अनुमंडल पदाधिकारी हेमंत सती, सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार, निमित्त संस्था की सचिव निकिता सिन्हा सहित अन्य प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने वैवाहिक सूत्र में बंधे दम्पत्तियों को शुभकामनाएं दी। इस सामूहिक वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल सभी जोड़े सरना धर्मावलंबी थे। सरना रीति रिवाज से आयोजित इस सामूहिक विवाह समारोह में सभी अनुष्ठानों पाहनों ने संपन्न कराये।

दो सगे भाइयों के साथ दो सगी बहनों की हुई शादी

सामूहिक विवाह समारोह में मारंगहादा थाना अंतर्गत गाड़ीगांव निवासी सामुएल मुंडा तथा मदीराय मुंडा नामक दो सगे भाइयों के साथ दो सगी बहनें ज्योतिका टूटी तथा रानी टूटी भी विधिवत विवाह बंधन में बंधे। दोनों भाइयों के साथ भी दोनों बहनें वर्षों से लिव इन रिलेशन में रह रहे थे। दोनों के दो-दो बच्चे हैं।

पांच हजार जोड़ों की शादी रचाकर विश्व रिकॉर्ड बनाने का है लक्ष्य: निकिता सिन्हा

स्वयंसेवी संस्था निमित्त की सचिव वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एनएन सिन्हा की पत्नी निकिता सिन्हा ने कहा कि आगामी वर्ष में औपचारिक शादी के बिना साथ रह रहे 5000 जोड़ों की शादी कराकर विश्व रिकॉर्ड बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया कि संस्था वर्ष 2016 17 से लगातार ऐसे आयोजन कर रही है। अब तक संस्था द्वारा 630 जोड़ों की विधिवत शादी कराई गई है। उन्होंने कहा कि रांची, गुमला, खूंटी, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम आदि जिलों में अभी भी लाखों जोड़ें आर्थिक तंगी के कारण औपचारिक शादी के बिना पति-पत्नी की तरह साथ रह रहे हैं। उन्होंने इस आयोजन में सहयोग के लिए खूंटी उपायुक्त की भूमिका की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे उपायुक्त मिल गए तो आगामी बर्ष 5000 जोड़ों की शादी कराने का लक्ष्य अवश्य पूरा होगा।