झारखंड की भाषाओं के विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकार करे पहल : टीएन साहू

झारखंड
Spread the love

  • मातृभाषा दिवस के अवसर पर जुटे झारखंडी भाषाओं के लेखक, साहित्यकार और पत्रकार

रांची। झारखंड ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ त्रिवेणी नाथ साहू ने कहा है कि झारखंडी भाषाओं के विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को ध्यान देना चाहिए, केवल कागजी बातें नहीं हो। मैं स्वयं यहां की स्थानीय भाषा नागपुरी का विद्यार्थी रहा हूं। अब नागपुरी भाषा की सेवा कर रहा हूं। श्री साहू अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर रांची प्रेस क्लब में आयोजित झारखंड साहित्य सम्मान पुरस्कार 2025 में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इस अवसर पर झारखंड की प्रमुख नौ भाषाओं के साहित्यकारों को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित भी किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता सूर्य सिंह बेसरा ने की। उन्होंने कहा कि मैं झारखंड आंदोलन का पहला विधायक हूं, जि‍सने राज्य गठन में विलंब होने के कारण अपना इस्तीफा दे दिया था। अब मैं पूर्णरूप से यहां की भाषाओं के विकास के लिए कार्य करूंगा।

रांची विवि के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय के पूर्व समन्वयक डॉ हरि उरांव ने झारखंड की भाषा और संस्कृति के विकास के लिए एकजुटता का आवाह्न किया। उन्होंने कहा भाषा एकेडमी के गठन के लिए सरकार पर दबाव बनाने की जरूरत है। भाषा एकेडमी का गठन हो जाने से यहां के लेखकों, साहित्यकारों, शोधार्थियों और आमजनमानस को लाभ पहुंचेगा।

डॉ उरांव ने कहा कि कई ऐसे लेखक हैं, जिन्होंने बेहतरीन रचनाओं का सृजन किया है। हालांकि अर्थाभाव के कारण वह उसे छपवा नहीं पा रहे हैं। भाषा एकेडमी का गठन होने से ऐसे पांडुलिपियों के प्रकाशन में भी सहयोग प्राप्त होगा। एकेडमी का गठन होने से भाषा के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने राज्य सरकार से अपील की कि यथाशीघ्र इस दिशा में काम आरंभ हो।

वरिष्ठ पत्रकार अनुज सिन्हा ने कहा कि यहां की भाषाओं में प्रकाशित पुस्तकें ज्ञान का भंडार हैं। यहां की भाषाओं पर ऐतिहासिक काम हुआ है। उसे और प्रोत्साहित करने की जरूरत है। उन्होंने भाषा एगेडमी के गठन के लिए संयुक्त प्रयास करने की वकालत की।

नागपुरी भाषा के पूर्व प्राध्यापक डॉ खालिक अहमद ने कहा कि भाषा समाज का दर्पण है। झारखंड आंदोलन को खड़ा करने में यहां की स्थानीय भाषाओं का अहम योगदान है, लेकिन राज्य गठन के बाद यहां की भाषाओं को जो स्थान मिलना चाहिए था, वह प्राप्त नहीं हो पाया।

जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय की पूर्व नागपुरी विभागाध्यक्ष डॉ सबिता केशरी ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बताया। कहा कि झारखंडी भाषाओं के विकास के लिए यह प्रयास एक महाकुंभ की तरह होगा, जो यहां के हजारों छात्र-छात्राओं के रोजी-रोजगार के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा।

कार्यक्रम में दीनबंधु, अंकित, प्रियंका कुमारी, पप्पू कुमार, सरस्वती गगराई, अमित महतो आदि ने अलग-अलग भाषाओं में प्रस्ताव पढ़े। कार्यक्रम में पद्मश्री मधु मंसुरीन ने अपनी गीत गांव छोड़ब नाही…से श्रोताओं में जोश भरे। राज्यसभा सांसद प्रदीप वर्मा द्वारा यहां की भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग करने पर मधु मंसुरीन ने उनका धन्यवाद भी किया।

खबरें और भी हैं। इसे आप अपने न्‍यूब वेब पोर्टल dainikbharat24.com पर सीधे भी जाकर पढ़ सकते हैं। नोटिफिकेशन को अलाउ कर खबरों से अपडेट रह सकते हैं। साथ ही, सुविधा के मुताबिक अन्‍य खबरें भी पढ़ सकते हैं।

आप अपने न्‍यूज वेब पोर्टल से फेसबुक, इंस्‍टाग्राम, एक्‍स सहित अन्‍य सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं। खबरें पढ़ सकते हैं। सीधे गूगल हिन्‍दी न्‍यूज पर जाकर खबरें पढ़ सकते हैं। अपने सुझाव या खबरें हमें dainikbharat24@gmail.com पर भेजें।

हमारे साथ इस लिंक से जुड़े
https://chat.whatsapp.com/H5n5EBsvk6S4fpctWHfcLK

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *