पलामू। वर्ष, 2024 के समाप्त होने में महज दो दिन शेष हैं। साल भर प्राथमिक शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए विभागीय आदेश की झड़ी लग गयी, लेकिन अपेक्षित परिणाम दृष्टिगोचर होता नहीं दिख रहा है। शिक्षकों की समस्याओं का भी निराकरण नहीं हुआ। उक्त बातें अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के पलामू जिले के हुसैनाबाद प्रखंड के अध्यक्ष जुबैर अंसारी ने कही।
श्री अंसारी ने कहा कि शिक्षक अपना डेटा खर्च कर निजी मोबाईल से हाजिरी बनाते हैं। सारी ऑनलाइन रिपोर्टिंग करते हैं। विज्ञान भाषा के शिक्षकों की घोर कमी है। कला के शिक्षक होते हुए विज्ञान पढ़ाना पड़ता है। सीमित संसाधनों दी जा रही शिक्षा को नीति आयोग की टीम ने सराहा है। इसके बावजूद विद्यालयों में वर्षों से प्रोन्नति अवरुद्ध है। इससे शैक्षणिक वातावरण प्रभावित हो रहा है। शिक्षकों को समस्याओं में रखकर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की बात करना बेमानी है।
प्रखंड सचिव निर्मल कुमार ने कहा कि विद्यालयों का उत्क्रमण तेजी से किया गया, लेकिन पद सृजित नहीं किया गया। शिक्षकों की घोर कमी है। एचएम, स्नातक प्रशिक्षित का पद प्रोन्नति की बाट जोह रहे हैं। संघ ने इस ओर विभाग का ध्यान आकृष्ट कराया है, लेकिन परिणाम अभी तक शून्य है।
हरिहरगंज-पिपरा के सचिव संतोष राय ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सभी संकायों में दक्ष शिक्षक की नितांत जरूरत है। इसके लिए विभागीय नियम के आलोक में प्रोन्नति अपरिहार्य है।
पांडु प्रखंड के राज्य प्रतिनिधि मुस्ताक अंसारी ने कहा कि विभाग विद्यालयों का रंग रोगन कर रहा है। बच्चों को नि:शुल्क पाठ्य साम्रगी उपलब्ध करा रहा है, लेकिन शिक्षकों की समस्याओं पर विचार नहीं कर रहा है। वर्ष, 1994 के नियुक्त शिक्षक तीस साल की सेवा के बाद भी एक ही वेतनमान में काम करने को अभिशप्त हैं। विभिन्न संकायों में स्नातक प्रशिक्षित का पद रिक्त है, लेकिन प्रोन्नति नहीं हो रही है। न्यायालय का आदेश, विभागीय अधिकारियों के निर्गत पत्र सब ऐसे ही धरे के धरे रह जा रहा हैं।
पलामू प्रमंडल के सोशल मीडिया प्रभारी राजेश कुमार गुप्ता ने कहा कि गुणात्मक शिक्षा के लिए विभिन्न कोटि के शिक्षकों की कमी का निराकरण होना चाहिये। राज्य के अन्य कर्मियों की तरह सुनिश्चित वृत्ति योजना ‘एमएसीपी’ की भांति शिक्षकों को 10, 20 व 30 वर्षों में एक अतिरिक्त वेतनवृद्धि मिलनी चाहिए। इसे लेकर शिक्षक संघ ने विभिन्न चरणों में आंदोलन किए। समझौता भी हुआ। अंतर्विभागीय बैठक हुई। वित्त विभाग, शिक्षा विभाग के आला अधिकारी उपस्थित रहे। संघ को अनुमानित बजट बनाने का दायित्व सौंपा गया। संघ यह सौंपा भी, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
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