बीआईटी मेसरा में मधुमेह घाव उपचार और उन्नत अनुसंधान पद्धतियों पर प्रशिक्षण

झारखंड
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रांची। बीआईटी, मेसरा के फार्मास्युटिकल साइंसेज और टेक्नोलॉजी विभाग ने 16 दिसंबर, 2024 को विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड की वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व नीति के तहत एक दिवसीय अनुसंधान प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। यह कार्यक्रम ‘शहद की विभिन्न किस्मों के माध्यम से एडेनोसिन मोनोफॉस्फेट – एक्टिवेटेड प्रोटीन किनेज, हाइपोक्सिया इंड्यूसिबल फैक्टर-और सूजन-संबंधी साइटोकिन्स की अभिव्यक्ति को नियंत्रित कर मधुमेह घाव उपचार की यांत्रिक अंतर्दृष्टि और हनी के सक्रिय घटकों की पहचान’ परियोजना के तहत आयोजित किया गया।

कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि बीआईटी के डीन ऑफ पोस्टग्रेजुएट स्टडीज प्रो. संदीप सिंह सोलंकी, प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष, फार्मास्युटिकल साइंसेज और टेक्नोलॉजी विभाग श्रीमती पापिया मित्रा मजूमदार और सहायक प्रोफेसर (फार्मास्युटिकल साइंसेज और टेक्नोलॉजी विभाग) एवं परियोजना के मुख्य अन्वेषक डॉ. बापी गोराईन ने किया। उनके साथ करीब 50 प्रतिभागियों की भागीदारी रही। इनमें अन्य संस्थानों के 10 शोधकर्ता भी शामिल थे।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों को उन्नत अनुसंधान पद्धतियों के व्यावहारिक अनुभव प्रदान करना और मधुमेह घाव उपचार के लिए चिकित्सीय दृष्टिकोणों की गहन समझ विकसित करना था।

कार्यक्रम में प्राकृतिक उत्पादों, विशेष रूप से शहद, की चिकित्सीय क्षमता की जांच पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो आणविक और जैव रासायनिक मार्गों के माध्यम से मधुमेह घावों के उपचार को बढ़ावा देते हैं। चर्चा में एएमपीके, एचआईएफ और सूजन-संबंधी साइटोकिन्स जैसे प्रमुख अणुओं की भूमिका और घाव उपचार प्रक्रियाओं में योगदान देने वाले शहद के सक्रिय घटकों की पहचान पर जोर दिया गया।

प्रतिष्ठित वक्ताओं द्वारा दिए गए मुख्य भाषण और इंटरएक्टिव सत्रों ने ज्ञान के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित किया। सहयोगी अनुसंधान पहलों को प्रेरित किया और स्वास्थ्य देखभाल चुनौतियों का समाधान करने में शैक्षणिक क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। यह पहल वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व गतिविधियों के माध्यम से वैज्ञानिक नवाचार और सामाजिक लाभों के बीच पुल बनाने के महत्व को दर्शाती है। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य देखभाल समाधानों को अधिक सुलभ और प्रभावशाली बनाना है।

प्रतिभागियों ने इसमें भाग लिया

  • प्रयोगात्मक चूहों पर घाव निर्माण।
  • रक्त शर्करा स्तर की माप।
  • उल्टे माइक्रोस्कोप का उपयोग करके हिस्टो पैथोलॉजिकल स्लाइड्स का अवलोकन और मूल्यांकन।
  • 2डी जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस की तकनीकें

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