- कोर्ट के आदेश और कोर्ट में विभाग के शपथ को धत्ता बताते हुए जिले बना रहे सूची, संघ को आपत्ति
रांची। राज्य के मध्य विद्यालयों में प्रधानाध्यापक पद पर शिक्षकों की प्रोन्नति से पूर्व स्नातक प्रशिक्षित पद पर प्रोन्नत होने वाले और इसी पद पर सीधी नियुक्ति से आए शिक्षकों के बीच आपसी वरीयता निर्धारित करने के लिए विभाग को नई नियमावली बनानी होगी। यह आदेश हाई कोर्ट ने दो माह पूर्व एक याचिका को निष्पादित करते हुए दी थी। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ द्वारा दायर प्रोन्नति से जुड़ी एक याचिका में हाल ही में विभाग की ओर से स्वीकारोक्ति भी दी गई है कि स्नातक प्रशिक्षित पद पर प्रोन्नत और सीधे नियुक्त शिक्षकों के बीच वरीयता संबंधी नई नीति शीघ्र बनाई जाएगी।
हालांकि कोर्ट के आदेश और कोर्ट में विभाग की स्वीकारोक्ति के वाबजूद कुछ जिलों में वरीयता की नई नीति बनने से पहले ही विसंगतिपूर्ण वरीयता सूचियों का प्रकाशन किया जा रहा है, जिसपर अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने आज कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए शिक्षा सचिव और प्राथमिक शिक्षा निदेशक को पत्र समर्पित किया है।
उच्चाधिकारियों को समर्पित पत्र में संघ ने कहा है कि किसी भी पद पर प्रोन्नति के लिए बनने वाली सूची में वरीयता का निर्धारण आवश्यक होता है। जब हाई कोर्ट के आदेशानुसार अभी तक ऐसी कोई नीति सरकार स्तर से बनी ही नहीं, तब जिलों में बनाई जा रही सूची नियमानुकूल नहीं हो सकती। इसलिए वरीयता की नई नीति अधिसूचित होने से पूर्व जिलों में प्रकाशित की जा रही प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति की सूची पर तत्काल रोक लगाया जाने की मांग संघ ने शिक्षा सचिव से की है।
अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनूप केसरी, महासचिव राम मूर्ति ठाकुर और प्रवक्ता नसीम अहमद ने कहा है कि विभाग जल्द से जल्द वरीयता निर्धारण के लिए नई नीति को कार्मिक विभाग के अधिसूचित नियमों के आलोक में प्रकाशित करे। नई नियमावली बनने तक प्रधानाध्यापक पद के लिए बनाई जा रही विसंगतिपूर्ण सूचियों पर तत्काल रोक लगाई जाए। कोर्ट के निर्देश से परे और कोर्ट में विभाग द्वारा समर्पित शपथ के विपरीत बनाई जा रही सूचियों पर रोक नहीं लगाने से कई और न्यायिक मामले उत्पन्न होंगे।
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