मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर जिले में चमकी बुखार ने एक बार फिर से दस्तक देकर लोगों को परेशान कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की टीम चाहे जितने भी दावे कर ले, लेकिन चमकी बुखार को रोक पाने में कितनी कामयाबी मिली है वह बीते वर्ष इस बीमारी से हुई मौतों से पता चलता है। इन मौतों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि चमकी बुखार को रोक पाना कितान मुमकिन हो सका है। कुल मिलाकर बात करें तो बीते वर्ष पूरे जिले में इस रोग से 21 मौतें हुईं। अकेले एसकेएमसीएच में भर्ती 90 मरीजों में 15 की मौत हो गई।
जिला प्रशासन ने जिले के सुदूर ग्रामीण इलाकों में चमकी बुखार को लेकर जो जागरूकता अभियान शुरू कराया, उसमें कितनी कामयाबी मिली वह इसी से जाना जा सकता है कि इस बीमारी ने जिले में फिर पांव पसार दिये हैंं। चमकी की इस बार की दस्तक ने फिर से सभी को सोंचने पर मजबूर कर दिया है। एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ. बीएस झा ने कहा कि शिशु रोग विभाग ने एक बच्चे को चमकी बुखार होने की पुष्टि की है, जो पीआईसीयू वार्ड में भर्ती है।
एक अन्य सवाल के जवाब में अधीक्षक ने कहा कि अस्पताल प्रशासन की ओर से इस बीमारी के इलाज के लिए सभी उपाय किये जा चुके हैं। किसी तरह की कोई कमी नहीं है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर सैकड़ों बच्चों की मौत के बाद भी अबतक इस बीमारी का कोई सही इलाज आखिर क्यों नहीं निकल पाया ? चमकी बुखार जैसी जानलेवा बीमारी पर काबू पाने के लिए कब तक सिर्फ जागरूकता अभियान चलाकर खानापूर्ति की जाती रहेगी?