52 वर्ष पुरानी एमसीसी का भाकपा माले में विलय, जानें पूरा मामला

झारखंड
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रांची। बड़ी खबर झारखंड के धनबाद से आई है, जहां गोल्फ ग्राउंड में आयोजित एकता रैली में मासस (मार्क्सवादी समन्वय समिति) का माले में विलय हो गया। इसकी आधिकारिक घोषणा मासस के कार्यकारी अध्यक्ष अरूप चटर्जी ने की।

उन्होंने कहा कि इससे वामदल और मजबूत होगा। माले के केंद्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि मासस (एमसीसी) और माले की विचारधारा एक रही है।

देश परिवर्तन चाह रहा है। इस विलय से नयी ताकत मिलेगी। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की तरह बिहार और झारखंड में परिणाम नहीं आया, लेकिन विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता में आने नहीं देंगे।

52 साल पुरानी पार्टी मासस सोमवार को माले में विलय के साथ इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गयी। इस मौके पर आयोजित एकता रैली में दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि इंडी गठबंधन के मजबूत होने से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की मनमानी में कमी आयी है। यूट्यूबर्स पर नकेल कसने से सरकार को पीछे हटना पड़ा। बीजेपी यहां तोड़फोड़ की राजनीति कर रही है।

माले के केंद्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार को अस्थिर करने के लिए केंद्र सरकार ने सीबीआई और ईडी को लगाया, लेकिन इंडी गठबंधन ने मजबूती से उसका सामना किया और मुंहतोड़ जवाब दिया।

मासस के केंद्रीय अध्यक्ष आनंद महतो ने सभा की अध्यक्षता की। बाद में तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हें सभा से जाना पड़ा। सभा का संचालन माले के जनार्दन सिंह और हलधर महतो ने किया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) का स्वतंत्र अस्तित्व आज समाप्त हो गया। 29 अप्रैल 1972 को वरिष्ठ वाम नेता एके राय ने इस पार्टी की स्थापना की थी। एक वक्त था, जब झारखंड के धनबाद में मासस की तूती बोलती थी। एके राय स्वयं तीन बार धनबाद के सांसद रहे। निरसा और सिंदरी विधानसभा की सीट से मासस के प्रत्याशी कई बार विजयी हुए।