- बीएयू में चारा वैज्ञानिकों की राष्ट्र स्तरीय कार्यशाला
रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में देश के अग्रणी चारा वैज्ञानिकों की दो दिवसीय राष्ट्र स्तरीय कार्यशाला 30 जुलाई से प्रारंभ हुई। कार्यशाला में चारा फसलों के विकास, संरक्षण एवं संवर्धन से जुड़े देश के 21 राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के लगभग 100 वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं। देश में दूध और मांस का उत्पादन बढाने के लिए पशुओं को पर्याप्त पोषक आहार उपलब्ध करने के उद्देश्य से विभिन्न चारा फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने की रणनीतियों पर चर्चा इसमें होगी।
कार्यशाला के मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ टीआर शर्मा ने कहा कि सभी राज्यों के लिए अलग-अलग चारा योजना तैयार कर सरकारों को सौपना चाहिए। कहां-कहां कितना कार्यान्वयन हो रहा है, इसका डाटा बेस रखना चाहिए। अबतक देश में चारा फसलों की 122 उन्नत किस्में विकसित की गयी हैं। इनमें से 10-12 किस्मों का प्रोडक्ट प्रोफाइल तैयार किया जाना चाहिए।
डॉ शर्मा ने कहा कि प्रोफाइल में उपज क्षमता, प्रोटीन एवं अन्य पोषक तत्व, प्रभेद का जलवायु लचीलापन, यंत्रीकृत कटाई की अनुकूलता आदि का विवरण हो। झांसी स्थित भारतीय चारागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान को नये ऊर्जावान वैज्ञानिकों की सहभागिता से प्रभेद विकास में तेजी लानी चाहिए। भारतीय बीज अनुसंधान संस्थान (मऊ) के साथ मिलकर चारा बीज का मानक तैयार करना चाहिए।
अध्यक्षीय संबोधन में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एससी दुबे ने कहा कि राष्ट्रीय औसत लगभग 400 ग्राम की तुलना में झारखंड में प्रति व्यक्ति दैनिक दुग्ध उपलब्धता मात्र 171 ग्राम है। इसका मुख्य कारण राज्य में हरा चारा की अल्प उपलब्धता है। देश में हरा चारा आवश्यकता से मात्र 11 प्रतिशत कम उपलब्ध है, जबकि झारखंड में यह कमी 70 प्रतिशत है। सूखा चारा और दाना की भी काफी कमी है। इन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए झारखंड के लिए चारा नीति तैयार की जानी चाहिए।
कुलपति ने कहा कि कृषि अग्रणी कुछ राज्यों में खेत में ही पराली जलाने के मामले बड़ी संख्या में सामने आते हैं। इसलिए खेत से सूखा चारा के एकत्रीकरण, प्रोसेसिंग एवं परिवहन की लागत का आकलन किया जाना चाहिए, ताकि उपचारात्मक कदम उठाये जा सकें। आरम्भ में बीएयू के अनुसंधान निदेशक डॉ पीके सिंह ने स्वागत किया। संचालन शशि सिंह ने किया।
कार्यशाला में आईसीएआर के सहायक महानिदेशक डॉ एसके प्रधान, भारत सरकार के कृषि आयुक्त डॉ पीके सिंह, भारतीय चारागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी के निदेशक डॉ पंकज कौशल, भारतीय पादप आनुवंशिकी संसाधन ब्यूरो, नई दिल्ली के निदेशक डॉ जीपी सिंह, भारतीय बीज अनुसंधान संस्थान, मऊ (उत्तर प्रदेश) के निदेशक डॉ संजय कुमार, भारतीय जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, रांची के निदेशक डॉ सुजय रक्षित, भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान, लुधियाना के पूर्व निदेशक डॉ सैन दास, परियोजना समन्वयक डॉ वीके यादव, प्रधान सस्य वैज्ञानिक डॉ आरके अग्रवाल सहित चारा उद्योग के प्रतिनिधियों ने भी अपनी प्रस्तुती दी। समन्वयन बीएयू के वैज्ञानिक आयोजन सचिव डॉ योगेन्द्र प्रसाद कर रहे हैं।
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