रांची। झारखंड में सौर उर्जा के प्रोत्साहन के लिए पूर्व राज्यसभा सदस्य महेश पोद्दार ने राज्य की नीति में संशोधन के लिए मुख्य सचिव, उर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार और उद्योग सचिव प्रवीण टोप्पो को पत्राचार किया है। इसमें सुझाव दिया है कि गुजरात और छत्तीसगढ़ की नीति उपभोक्ता, विशेषकर एमएसएमई वर्ग के लिए मददगार हो सकती है, जो बिजली की कमी और महंगी बिजली की समस्या से जूझ रहे हैं।
पोद्दार ने कहा कि निःसंदेह झारखंड की सौर नीति नेक इरादे वाली और निवेशक अनुकूल है, किंतु राज्य के अंदर और बाहर उनके संरचनात्मक परिवर्तन के लिए एक कार्ययोजना की आवश्यकता है। अपने निजी अनुभवों को देखते हुए उन्होंने अवगत कराया कि सौर उर्जा को सरकार द्वारा उत्पन्न करने की आवश्यकता नहीं है। औद्योगिक उपयोगकर्ता के रूप में स्वयं कंपनियां भी ऐसा कर सकती हैं, लेकिन इसके लिए राज्य में गुजरात या छत्तीसगढ़ जैसी सहायक नीतियों की जरूरत है।
गुजरात की नवीकरणीय उर्जा नीति का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि यह नीति व्हीलिंग के साथ उपयोगकर्ता द्वारा कैप्टिव जेनरेशन के विचार का समर्थन करती है। गुजरात में स्वच्छ उर्जा स्त्रोतों को बढाने के लिए उद्योगों, एमएसएमई, संगठनों और उपभोक्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित की गई है, इसकी झारखंड में अनुमति नहीं है। औद्योगिक क्षेत्रों के लिए ग्रीन एनर्जी उत्पन्न करने के लिए दूरदराज के क्षेत्रों में बंजर भूमि का उपयोग किया जा सकता है।
पोद्दार ने यह भी कहा कि हाइब्रिड नवीकरणीय उर्जा पार्क, सौर पार्क जैसी मेगा परियोजनाएं गुजरात की प्रगति को बढ़ावा दे रही हैं। नीति के तहत व्हीलिंग या थर्ड पार्टी बिक्री और क्रॉस सब्सिडी के बिना एक से अधिक स्थानों पर बिक्री का प्रावधान है। गुजरात नवीकरणीय उर्जा का बहुत सफल मॉडल है जिसका अनुसरण किया जाना चाहिए।
झारखंड में बिजली के मामले में हम नियमित रूप से घाटे से जूझ रहे हैं, इसलिए राज्य की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ राज्य की उपयोगिता के लिए भी कैप्टिव उत्पादन की आवश्यकता है। राज्य के दीर्घकालिक लाभ के लिए इस विचार को आगे बढाने के लिए कार्रवाई आवश्यक है।
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