शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करे भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व
जमशेदपुर। सिख बुद्धिजीवी अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने कहा है कि सिख फॉर जस्टिस की हिमायत अथवा समर्थन कोई भी भारतीय सिख नहीं करता है। इसके नेता गुणपंत सिंह पन्नू के खिलाफ रांची पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है और भारत सरकार इस मामले में सहयोग करे और उसे घसीटते हुए भारत लेकर आए और कठोर कानूनी कार्रवाई करे। फिर यह भी देखा जाना चाहिए कि मीडिया बेवजह उसे अहमियत क्यों दे रहा है?
वही इस अधिवक्ता ने देश के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मांग की है कि वह पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता एवं विधायक शुभेंदु अधिकारी को दल से बाहर निकालने का काम करें। उन्होंने कर्तव्य का निर्वहन करने वाले एक आईपीएस सिख पदाधिकारी जसप्रीत सिंह पर नस्लीय टिप्पणी की है, जिसे सभ्य समाज स्वीकार नहीं कर सकता। एक संवैधानिक लोकतांत्रिक देश में ऐसी टिप्पणी अपराध है और दो समुदाय को आपस में भड़काने एवं लड़ाने वाली है। ऐसे लोगों की वास्तविक जगह जेल है।
भाजपा नेतृत्व कांग्रेस नेतृत्व पर 1984 के सिख नस्लीय संहार को लेकर आक्रामक रूप दिखाती है, परंतु अब बारी उसे खुद पर चरितार्थ करने की है। वह अल्पसंख्यक वर्ग खासकर सिख के प्रति कितना हमदर्द और प्यार और विश्वास करती है। किसी भी सिख को देश का इतिहास दूसरे को बताने की जरूरत नहीं है। विश्वासघात का नहीं, बल्कि स्वर्ण अक्षरों में इनका इतिहास लिखा हुआ है।
धार्मिक पहचान ही अगर नस्लीय और टिप्पणी एवं खालिस्तान का द्योतक है, तो भारतीय जनता पार्टी एवं केंद्र सरकार अपने उन सिख नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का कदम उठाए। जिन्होंने पगड़ी धारण कर रखी है। जिनके लिए पगड़ी स्वाभिमान, राष्ट्रवाद एवं सद्कर्म, परसेवा का प्रतीक है।
यह अधिवक्ता बीजेपी के उन सिख नेताओं पर भी बरस रहे हैं, जो दलीय निष्ठा के कारण अपने इतिहास को भूल बैठे हैं और राष्ट्र की एकता अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाले ऐसे नस्लीय नेताओं के हाथ के टूल बने हुए हैं। अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष एवं सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने की भी अपील की है।