रांची। सीएमपीडीआई (ब्लास्टिंग सेल) रांची और आईआईटी-खड़गपुर को पेटेंट कार्यालय, भारत सरकार ने ‘विभिन्न प्रकार के विस्फोटकों और इनीसिएटर्स के विस्फोट के वेग और एसेसरी उत्पाद के स्कैटरिंग/विलंब के समय को मापने के लिए एक बेहतर और अत्यधिक किफायती उपकरण’ के आविष्कार एवं उसके लिए विधि के लिए पेटेंट प्रमाण-पत्र जारी किया। यह पेटेंट 20 वर्षों के लिए मिला है।
यह पेटेंट 23 सितंबर, 2013 को दाखिल किया गया था। इसके 10 वर्षों के बाद 13 दिसंबर, 2023 को यह हासिल हुआ। पेटेंट दाखिल करने की तिथि से 20 वर्षों के लिए यह प्रदान किया गया है। इस उपकरण का उपयोग करके विस्फोट के वेग (वेलोसिटी ऑफ डिटोनेशन) का सटीक वैल्यू प्राप्त किया जा सकता है।
यह उपकरण और विधि किसी दिए गए भू-खनन स्थितियों के लिए विस्फोट अनुकूलन प्राप्त करने और बड़े पैमाने पर निश्चितता के साथ विस्फोटों को डिजाइन करने में मददगार होगी। सीएमपीडीआई के तत्कालीन मुख्य प्रबंधक (माइनिंग) एससी कर बतौर परियोजना समन्वयक और तत्कालीन वरीय प्रबंधक (माइनिंग) डॉ एके झा बतौर प्रोजेक्ट लीडर पेटेंट के लिए आवेदन दाखिल करने के समय अपनी भूमिका निभायी। इस परियोजना में सीएमपीडीआई के ब्लास्टिंग सेल प्रमुख कार्यान्वयन एजेंसी (पीआईए) थी। डॉ बी देब के नेतृत्व में आईआईटी-खड़गपुर उप-कार्यान्वयन एजेंसी थी।
विस्फोटकों और सहायक उपकरणों की गुणवत्ता विस्फोटकों और और सहायक उत्पादों के विस्फोट के बाद के प्रदर्शन को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ब्लास्टिंग के बाद सब-सिस्टम उपयोग यथा लोडिंग, ढुलाई और परिवहन पर विचार करते हुए वर्तमान खदान से ‘मिल अवधारणा’ के तहत उत्पादन की कुल लागत को कम करने के लिए ड्रिलिंग, ब्लास्टिंग और आरंभिक पैटर्न के लिए विश्वसनीय रूप से उच्च गुणवत्ता वाले विस्फोटक और सहायक उत्पादों का उपयोग करना प्रासंगिक है।
विस्फोटकों और सहायक उपकरणों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए स्वदेशी उपकरण के विकास से ब्लास्ट परफारमेंस के टेक्नो-इकोनामिक्स में सुधार होगा। समग्र माइन इकोनामिक्स में सुधार होगा।
वर्तमान परिदृश्य में कोयले की बढ़ती मांग को देखते हुए विस्फोटकों और सहायक उपकरण के प्रदर्शन का पता लगाने के लिए स्वदेशी उपकरण के विकास से विश्वसनीयता, प्रभावशीलता और विस्फोट प्रदर्शन की दक्षता के मामले में समग्र खान अर्थशास्त्र में परिणाम मिलेगा जिससे सीआईएल और समस्त कोयला क्षेत्र को भी लाभ होगा।
इससे पूर्व सीएमपीडीआई को ‘फ्यूजिटिव डस्ट के उत्पादन और संचरण को नियंत्रण करने के लिए एक प्रणाली और विधि’ विकसित करने के लिए अभिनव कार्य के लिए दिसंबर, 2022 में अपना पहला पेटेंट हासिल किया था। पेटेंट सीएमपीडीआई की तकनीकी क्षमता का प्रमाण है।
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