विवेक चौबे
गढ़वा। झारखंड के गढ़वा जिले के कांडी प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सतबहिनी झरना तीर्थ में मकर संक्रांति पर तीसरा मेला शुरू हुआ। तीन दिवसीय इस मेले में श्रद्धालु पर्यटकों की भारी भीड़ लगी। यद्यपि 15 जनवरी को संक्रांति का पुण्य काल है, लेकिन परंपरा से लोग 14 को संक्रांति मनाते आए हैं, जो जारी रहा। यहां साल भर में पांच बार मेला लगता है। इनमें वैशाख पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा, मकर संक्रांति, माघ पूर्णिमा व महाशिवरात्रि का मेला शामिल है।
सदियों से लगता है मेला
पांचों मेला यहां सदियों से लगता रहा है। पहले सभी मेला एक-एक दिन के लिए ही लगता था। मां सतबहिनी झरना तीर्थ एवं पर्यटन स्थल विकास समिति के बैनर तले आम जनों के सहयोग से यहां वर्ष 2001 में शुरू किए गए निर्माण यज्ञ के बाद से हजारों लोगों का इस स्थल से गहरा जुड़ाव हो गया। फिर दो मेलों की अवधि बढ़ा दी गई। मकर संक्रांति के मेले को एक से तीन दिवसीय कर दिया गया। अगले दिन से मानस महायज्ञ शुरू होने के कारण माघ पूर्णिमा का मेला एक दिन से बढ़कर 11 दिनों के मेला में तब्दील हो गया।
मेला में आई अपार भीड़
भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश व उनके उत्तरायण होने के पवित्र मौके पर सतबहिनी झरना तीर्थ में मकर संक्रांति का मेला लगा। इस दिन भारतीय मनीषा में पवित्र नदियों व सरोवरों में स्नान व दान की काफी महिमा बताई गई है। अहले सुबह से ही श्रद्धालुओं का झरना में स्नान शुरू हो गया। कड़ाके की ठंड व कनकनी के कारण सुबह में कम लोगों ने स्नान किया। दिन चढ़ते ही भीड़ बढ़ने लगी। इसके बाद लोग सतबहिनी भगवती माता महा दुर्गा, महालक्ष्मी व महाकाली, भैरवनाथ, भगवान भास्कर, बजरंग बली, भगवान शीव, साक्षी गणेश व नंदी महाराज के मंदिरों में दर्शन पूजन कर तिल, चावल, द्रव्य आदि दान करते देखे गए। मंदिर प्रांगण में काफी संख्या में लोग श्री सत्यनारायण व्रत कथा भी सुनते रहे।
मैदान में सैकड़ों दुकानें सजी
मेला मैदान में विभिन्न चीजों की सैकड़ों दुकानें सजी हैं। इनमें प्रसाद, मिठाई, सिंगार, खिलौना, चाट-चाउमीन, होटल, रेडीमेड, जूता-चप्पल, रसोई सामग्री, सजावट, फोटो, स्टूडियो, सब्जी, कृषि उपकरण, पान, इलेक्ट्रिक मसाज सहित अन्य तरह की दुकानें शामिल थी। यहां लोग देर शाम तक खरीदारी करते देखे गए। सबसे अधिक भीड़ जिलेबी, पकौड़ी, सिंगार, खिलौना, प्रसाद की दुकानों पर रही।
दूर-दूर से आए पर्यटक
इस मेला में स्थानीय सैकड़ों गावों के साथ-साथ झारखंड के अनेक जिलों पलामू, लातेहार, लोहरदगा, रांची आदि सहित यूपी, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, बंगाल, राजस्थान, उड़ीसा आदि राज्यों के पर्यटक काफी संख्या में मेला में पहुंचे। करीब 40 हजार लोगों के मेला में भाग लेने का अनुमान है। सेतु मार्ग व सीढ़ियां बार-बार जाम हो रही थीं। भीड़ को नियंत्रित करने में मां सतबहिनी झरना तीर्थ एवं पर्यटन स्थल विकास समिति के स्वयंसेवकों को घंटों भारी मशक्कत करनी पड़ी। कुछ देर के लिए सबसे अधिक परेशानी मेन रोड से गांव होते मेला पहुंचने वाले मार्ग में हुई। दुर्गा राम राजस्थानी ने पूरे दिन गाड़ियों को रोड पर से हटाकर मैदान में पार्क कराते रहे। दोपहर बाद प्रवीण कुमार पाठक व उनके 4 साथी जाम हटाते रहे।
काफी प्राचीन है स्थल
यह स्थल प्राचीन काल का एक धार्मिक व प्राकृतिक धरोहर है। यहां मनोरम झरना, कलकल बहती नदिया, मीलों तक फैली टीलों व बिहड़ों की सुंदर वादियां, हरियाली, भव्य मंदिरों की श्रृंखला लोगों को आकर्षित करती है। साथ ही झरना से उत्तर तरफ रहस्यमयी सातमंजिली साधना सह समाधि गुफा स्थित है। इस गुफा पर्वत के नीचे कोई न कोई महल या मंदिर छिपा हुआ है जो खोज का विषय है। तीन सौ साल पहले एक ऋषि बाबा शामदास ने इसी में वर्षों साधना की थी। उन्होंने यहीं समाधि भी ली थी।
पार्किंग व्यवस्था है जरूरी
जानकारों का कहना है कि बार-बार के सड़क जाम से छुटकारे का एक ही उपाय है कि मेन रोड पर स्थित इंट्री गेट से पहले ही गाड़ियों की पार्किंग का इंतजाम किया जाए। गेट से पहले ही दो पहिया, तीन पहिया, चार पहिया व ट्रैक्टर आदि को सुनियोजित तरीके से खड़ा कर उनकी सुरक्षा के साथ टोकेन दे दिया जाए तभी जाम से मुक्ति मिल सकती है।
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