CG : भाजपा को हराने के लिए अभियान चलाएगा जन संगठनों का साझा मंच

अन्य राज्य देश
Spread the love

रायपुर (CG)। जन संगठनों का साझा मंच विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए पूरे प्रदेश में अभियान चलाएगा। इन जन संगठनों की शुक्रवार को बैठक हुई। इसमें प्रतिनिधियों की राय थी कि भाजपा कवर्धा, साजा और आरंग की घटनाओं को केंद्र में रखकर अपनी सांप्रदायिक नफरत की मुहिम को आगे बढ़ाना चाह रही है। इसके खिलाफ शांति और सौहार्द्र की रक्षा के लिए सभी जनसंगठन मिलकर अभियान चलाएंगे।

इन संगठनों का कहना है कि अपने 15 सालों के राज में भाजपा ने केवल सांप्रदायिक मुद्दों पर राजनीति की। कॉरपोरेटपरस्त नीतियों को लागू किया था। आम जनता की बुनियादी समस्याओं को हल करने की उसने कोई कोशिश नहीं की। आज भी वह देश की सार्वजनिक संपदा को कॉरपोरेट घरानों को सौंपने की ही नीति पर चल रही है।

बड़े पैमाने पर लोकतांत्रिक संस्थाओं पर, संविधान और उसके मूल्यों पर हमला कर रही है। एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र को हिंदू राष्ट्र में बदलने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इस प्रकार भाजपा एक वैज्ञानिक चेतना से संपन्न समाज की जगह मनुवाद पर आधारित बर्बर और असभ्य समाज की स्थापना का करना चाहती है।

इन संगठनों का कहना है कि बस्तर की संपदा की कॉरपोरेट लूट के खिलाफ आदिवासी समुदाय शांतिपूर्ण ढंग से लड़ रहा है। उनके आंदोलनों को तोड़ने के लिए भाजपा व आरएसएस शातिराना ढंग से धर्म के आधार पर विभाजित कर रही है। पेसा कानून की गलत व्याख्या करके उन्हें नागरिक अधिकारों से वंचित करने की घृणित मुहिम चला रही है।

भाजपा की केंद्र सरकार वनों की कॉरपोरेट लूट को आसान बनाने के लिए वनाधिकार कानून और वन संरक्षण कानून में आदिवासी विरोधी संशोधन कर रही है। पेसा कानून को कमजोर कर रही है। भाजपा के इन कदमों से जंगलों से आदिवासियों का अलगाव और विस्थापन बढ़ रहा है। पिछले भाजपा राज में आदिवासी विरोधी सलवा जुडूम अभियान इसीलिए चलाया गया था।

बस्तर के सशस्त्रीकरण के इस अभियान के चलते लाखों आदिवासियों को अपने गांव-घरों से विस्थापित किया गया था। सैकड़ों गांव जलाए गए थे। सैकड़ों महिलाओं से बलात्कार किया गया था। कईयों की हत्याएं हुई हैं। इस उत्पीड़न के खिलाफ आदिवासी समुदाय आज भी न्याय पाने के लिए संघर्ष कर रहा है। विपक्ष में रहते हुए भी भाजपा ने कभी आदिवासियों के उत्पीड़न के खिलाफ और उनके अधिकारों के पक्ष में आवाज बुलंद नहीं की।

इन जन संगठनों का कहना है कि भाजपा-आरएसएस की फासीवादी-सांप्रदायिक नीतियों को परास्त करने के लिए उसे विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में परास्त करना जरूरी है, ताकि अपने घृणित मंसूबों के लिए वह सत्ता की मशीनरी का दुरुपयोग न कर सके। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर सभी जन संगठन चुनावों में भाजपा की हार को सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होकर अभियान चलाएंगे।

इस अभियान के दौरान वे छत्तीसगढ़ के जल, जंगल, जमीन की लूट, आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन, बस्तर में फर्जी मुठभेड़ और गिरफ्तारियों के मुद्दो को और संविधान और लोकतंत्र के बुनियादी मूल्यों और नागरिक अधिकारों पर संघी गिरोह द्वारा किए जा रहे हमले के मुद्दे को प्रमुखता से उठाएंगे।

जन संगठनों की बैठक में जनक लाल ठाकुर (छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा), विजय भाई, आलोक शुक्ला (छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन), संजय पराते (छत्तीसगढ़ किसान सभा), कलादास डहरिया (छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा – मजदूर कार्यकर्ता समिति), लखन सुबोध (गुरु घासीदास सेवादार संघ), सौरा यादव (क्रांतिकारी किसान सभा), तुहिन देव, प्रसाद राव (जन संघर्ष मोर्चा), सोमनाथ उसेंडी (रावघाट संघर्ष समिति), रमाकांत बंजारे (संयुक्त किसान मोर्चा) सहित विभिन्न जनवादी संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

खबरें और भी हैं। इसे आप अपने न्‍यूज वेब पोर्टल dainikbharat24.com पर सीधे भी जाकर पढ़ सकते हैं। नोटिफिकेशन को अलाउ कर खबरों से अपडेट रह सकते हैं। सुविधा के अनुसार खबरें पढ़ सकते हैं। आपका अपना न्‍यूज वेब पोर्टल से फेसबुक, इंस्‍टाग्राम, x सहित अन्‍य सोशल मीडिया के साथ सीधे गूगल पर जाकर भी जुड़ सकते हैं। अपने सुझाव या खबरें हमें dainikbharat24@gmail.com पर भेजें।