रांची। पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने वर्तमान सीएम हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है। अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी करने में केरल हाईकोर्ट का फैसला मानने की सलाह दी है। जनजाति समाज के रीति रिवाज को नहीं मानने वालों को जाति प्रमाण पत्र निर्गत नहीं करने की मांग की।
पूर्व सीएम ने लिखा है कि आप अनुसूचित जनजाति समाज से आते हैं। जनजातीय समाज ने बड़े भरोसे के साथ आपको मुख्यमंत्री के पद पर बैठाया था, लेकिन अब वे छला महसूस कर रहे हैं। जनजातीय समाज आपसे अपेक्षा करता है कि उसके साथ न्याय हो, लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि मुख्यमंत्री बनने के साथ सबसे अधिक विश्वासघात आपने जनजातीय समाज के साथ ही किया है।
ये बात किसी से छिपी नहीं है कि जनजातीय समाज को आज झारखंड में किस खराब दौर से गुजर रहा है। झारखंड में जनजातीय समाज की परंपरा और पहचान आपकी सरकार की वजह से संकट में आ गयी है। पर्दे के पीछे से आपकी सरकार चलाने वाले चाहते हैं कि यहां का अनुसूचित जनजाति समाज मांदर की जगह गिटार पकड़ ले।
दास ने लिखा है कि सरना कोड के नाम पर जनजातीय समाज विशेष कर सरना समाज को गुमराह करने की बजाय जो आपके हाथ में हैं, कम से कम उसे तो लागू कर दें। अनुसूचित जनजाति समाज की सालों पुरानी मांग है कि स्थापित रीति रिवाज, पारंपरिक वेशभूषा और परंपराओं को मानने वालों को ही एसटी जाति प्रमाण पत्र निर्गत किया जाये।
1997 में केरल राज्य एवं एक अन्य बनाम चन्द्रमोहनन मामले में केरल हाईकोर्ट ने स्पष्ट फैसला सुनाया था कि अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र निर्गत करने का क्या-क्या आधार होना चाहिए, लेकिन आपकी सरकार इस अहम मुद्दे पर मौन है। अनुसूचित जनजाति समाज के हित में केरल हाईकोर्ट के फैसले को झारखंड में उतारने का काम करें। केरल हाईकोर्ट के निर्णय का सार इस प्रकार है।
‘आवेदक के माता एवं पिता दोनों ही अनुसूचित जनजाति के सदस्य होने चाहिए। उनके माता-पिता का विवाह संबंधित जनजाति के रूढ़ियों एवं परंपरा के अनुसार किया गया होना चाहिए। उनका विवाह जनजाति समाज द्वारा किया गया हो। उसे समाज के द्वारा मान्यता दी गई हो।
आवेदक एवं उसके माता-पिता के द्वारा जातिगत रूढ़ियों, परंपराओं एवं अनुष्ठान का पालन किया जा रहा है। आवेदक एवं उसके माता-पिता के द्वारा अपने पूर्वजों की विरासत एवं उत्तराधिकार के नियमों का पालन किया जा रहा है या नहीं। इन सब मामलों की जांच के पश्चात् ही जाति प्रमाण पत्र निर्गत किया जाना चाहिए।’
पूर्व सीएम ने कहा कि कार्मिक विभाग से अविलंब निर्देश जारी करायें कि जो व्यक्ति जनजाति समाज के रीति रिवाज नहीं मानते हों, उनका जाति प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किया जाये।
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