
- मत्स्य किसानों के लिए सतत जलकृषि प्रशिक्षण
गुमला। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय अधीन संचालित मात्स्यिकी विज्ञान महाविद्यालय द्वारा सतत जलकृषि पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया। यह 21 सितंबर से 23 सितंबर तक चला। यह प्रशिक्षण जिला उपयुक्त द्वारा संपोषित था। प्रशिक्षण में 19 महिलाओं ने भाग लिया। सभी प्रशिक्षणार्थी गुमला जिले के बसिया प्रखंड से थे।
प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को समन्वित मछली पालन, कम्पोजिट मछली पालन, पिंजरे में मछली पालन के साथ-साथ मछली आहार एवं मछली के मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने की विधि बताए गए। प्रशिक्षण में सम्मिलित महिलाएं धनसिंह जलाशय में पिंजरे में मछली पालन से जुडी हैं। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें पिंजरे में मछली पालन से सम्बंधित तकनीकी जानकारी दी गयी। इसमें आने वाली समस्याओं के समाधान के बारे में भी चर्चा की गयी।
महिलाओं को मछली के मूल्यवर्धक उत्पाद बनाने एवं इन्हें बाजार में बेचने के बारे में बताया गया। महिलाओं ने प्रशिक्षण में मछली के मोमो बनाना सीखा। प्रशिक्षण के दौरान उनके द्वारा बनाये गए मोमो की महाविद्यालय के मुख्य द्वार के समीप बिक्री भी की गई। इसके अलावे उन्हें मछली के आहार बनाने एवं इसके प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी।
प्रशिक्षण के समापन में मुख्य अतिथि हर्टफुलनेस इंस्टीट्यूट से डॉ एसके सिंह थे। उन्होंने योग एवं ध्यान के संबंध में सभी को जागरूक एवं प्रोत्साहित किया। सभी को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र और 2 क्रेट प्रदान किये।I
यह प्रशिक्षण महाविद्यालय के सह-अधिष्ठाता डॉ एके सिंह के मार्गदर्शन और डॉ गुलशन के दिशानिर्देश में कराया गया। प्रशिक्षण में महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापकों, डॉ श्वेता कुमारी, डॉ प्रसान्त जना, डॉ. रोहितास यादव, डॉ मनमोहन एवं डॉ कस्तूरी चट्टोपाध्याय के साथ-साथ अन्य सभी सहायक प्राध्यापकों, गैर शैक्षणिक कर्मचारी श्रीमती रेशमी सिंह एवं संजय नाथ पाठक का भी योगदान रहा।
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