मुंबई। सामना के संपादकीय के जरिए एक बार फिर पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर तीखा हमला बोला गया है। आइए जानें आखिर लिखा क्या है…नवगठित विपक्षी दल इंडिया (I.N.D.I.A.) गठबंधन द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान एनडीए नेताओं और पीएम मोदी के भाषण को लेकर शिवसेना (यूबीटी) ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर हमला बोला।
शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में पार्टी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण अहंकार, हीन भावना और चिड़चिड़ापन से भरा था। संपादकीय में यह भी कहा गया है कि मणिपुर हिंसा के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू को दोषी ठहराना मोदी के राजनीतिक दिवालियापन को दर्शाता है।
संपादकीय में कहा गया, ‘उन्होंने (मोदी) मणिपुर पर केवल तीन मिनट बात की। अगर उन्होंने संसद के दोनों सदनों में मणिपुर संकट पर अपना बयान दिया होता, तो इंडिया गठबंधन को अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाना पड़ता और मोदी को इस उम्र में 2 घंटे 13 मिनट तक हंगामा नहीं करना पड़ता’।
इसमें कहा गया, ‘मोदी ने अपने भाषण से कांग्रेस को बड़ा बना दिया। पीएम के इतने लंबे भाषण ने इस बात को बल दिया की कि उनका सूरज 2024 में नहीं उगेगा। वे सूरज के मालिक नहीं हैं!’ संपादकीय में आगे कहा गया, ‘मणिपुर हिंसा पर मोदी ने कुछ ही देर बात की। बाकी का उनका भाषण कांग्रेस के खिलाफ वही बयानबाजी थी। यह उनकी (मोदी की) पीड़ा है।
पंडित नेहरू की वैश्विक प्रमुखता, कांग्रेस की भागीदारी और काम स्वतंत्रता संग्राम मोदी को पीड़ा दे रहा है। दस साल तक सत्ता में रहने के बाद भी वह इन पीड़ाओं से छुटकारा नहीं पा सके हैं।’ मणिपुर मुद्दे के लिए नेहरू को जिम्मेदार ठहराने के लिए मोदी पर निशाना साधते हुए संपादकीय में कहा गया, ‘मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी, वीपी सिंह गैर-कांग्रेसी पीएम बने और अब मोदी खुद दस साल से पीएम हैं।
इसके बावजूद मणिपुर के लिए नेहरू को दोषी ठहराना राजनीतिक दिवालियापन है, क्योंकि मोदी जब प्रधानमंत्री हैं, तो मणिपुर में महिलाओं को नंगा किया जा रहा है और लोग मोदी से जवाब मांग रहे हैं। इसमें नेहरू की क्या गलती है?’
सामना के संपादकीय में शिवसेना (यूबीटी) ने राहुल गांधी की प्रशंसा की। साथ ही उन्हें सच्चा और निडर नेता बताया। संपादकीय में कहा गया, ‘सच्चे और निडर राहुल गांधी के सामने मोदी-शाह के नेतृत्व की परीक्षा हो रही है।’
संपादकीय में आगे कहा गया कि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कई लोगों के चेहरे से मुखौटे गिरे और सत्ता पक्ष की चिड़चिड़ाहट महसूस की जा सकती थी। उस नाराजगी के पीछे मुख्य कारण संसद में राहुल गांधी का भाषण है। संपादकीय में कहा गया कि दस साल पहले वाले राहुल गांधी आज पहले जैसे नहीं रहे।
शिवसेना (यूबीटी) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की भी आलोचना की। संपादकीय में कहा गया कि उनके दो घंटे से अधिक लंबे भाषण में धमकी, चेतावनी और कांग्रेस की मानहानि के अलावा कुछ नहीं था। संपादकीय में दावा किया गया कि अमित शाह कोई स्वतंत्रता सेनानी या आंदोलन से निकले नेता नहीं हैं। वह गृह मंत्री हैं, क्योंकि मोदी को अवैध आदेशों को लागू करवाने के लिए उनकी जरूरत है।
संपादकीय में कहा गया, ‘एक तानाशाह को अपने अवैध आदेशों को लागू करने के लिए एक करीबी विश्वासपात्र की आवश्यकता होती है। देश में जो दबाव और आतंकवाद चल रहा है, उसका कारण यह है कि गृह मंत्रालय और जांच व्यवस्था अमित शाह के हाथ में है, लेकिन 2024 के बाद ये सब उनके हाथ में नहीं रहेगा।
2014 और 2019 में दो बार कांग्रेस को हराने के बावजूद यह दोनों लोग (मोदी-शाह) 2024 में कांग्रेस से डरे हुए हैं और यही वजह है कांग्रेस पर हमला कर रहे हैं। यह उनकी मानसिक कमजोरी है।’