कुलपति का धान बीजोत्पादन को प्राथमिकता देने पर जोर
रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने बुधवार को वेस्टर्न सेक्शन फार्म में शोध कार्यक्रमों से जुड़ी 15 खड़ी खरीफ फसलों के प्रायोगिक प्रक्षेत्रों की स्थिति को देखा। कुलपति ने फार्म में खड़ी सभी 15 खरीफ फसलों के प्रदर्शन पर संतोष जताया। उन्होंने वैज्ञानिकों को धान बीजोत्पादन को विशेष प्राथमिकता देने और धान की 50 प्रतिशत शेष भूमि में धान की रोपाई यथासमय पूरा करने को कहा। उनके साथ निदेशक अनुसंधान डॉ पीके सिंह एवं वैज्ञानिक भी थे।
कुलपति ने धान की सीधी बोआई के फसल प्रदर्शन को अच्छा बताया। किसानों को प्रदेश में वर्षा की विषम स्थिति को देखते हुए सीधी बोआई एवं एरोबिक विधि से धान की खेती की ओर उन्मुख होने की सलाह दी। इस विधि में धान की अनुशंसित किस्मों सहभागी, नवीन, ललाट, आईआर 64 डीआरटी 1, सीआर धान 205, सीआर धान 302, सीआर धान 304, बीवीटी 202, एमटीयू 10-10 आदि का प्रयोग करने की सलाह दी।
मौके पर निदेशक अनुसंधान डॉ पीके सिंह ने खेतों में पौधों की संख्या बनाये रखने, खरपतवार नियंत्रण, खेतों से जल की निकासी एवं कीट और रोग प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी।
शोध फार्म में भ्रमण में करीब 17.50 एकड़ भूमि में विभिन्न परियोजनाओं में धान की सीधी बोआई, एरोबिक धान, जैविक धान एवं रोपा धान विधि के 60 शोध कार्यक्रमों, इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईआईआरआई) परियोजना में वर्षापात की अनियमितता की वजह से रोपा धान में हो रही कठिनाईयों को देखते हुए धान की सीधी बोआई के विभिन्न प्रयोगों का निरीक्षण किया।
शस्य वैज्ञानिक डॉ अशोक कुमार सिंह ने धान की सीधी बोआई में होने वाली मुख्य समस्या जैसे खरपतवार नियंत्रण पर किये जा रहे प्रयोगों और खरपतवार नाशी दवाओं की प्रायोगिक जांच के बारे में बताया।
परियोजना अन्वेंषक (धान फसल) डॉ कृष्णा प्रसाद ने बताया कि फार्म के करीब 3 एकड़ टांड़ एवं मध्यम भूमि में धान की सीधी बोआई का टारगेट पूर्ण हो चुका है। धान रोपा का करीब 50 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। धान शोध कार्यक्रम से जुड़े वैज्ञानिकों में डॉ एखलाख अहमद, डॉ एमके वर्णवाल, डॉ विनय कुमार एवं डॉ वर्षा रानी ने भी अपने विषयों के धान शोध कार्यों की जानकारी दी।
कुलपति सहित वैज्ञानिक दल ने फार्म के करीब 5 एकड़ भूमि में मकई फसल पर आईसीएआर – एआईसीआरपी एवं स्टेट प्लान अधीन बेबीकॉर्न, स्वीटकॉर्न, येलोकॉर्न एवं पर्पलकॉर्न प्रयोगिक प्रक्षेत्रों के अलावा करीब 400 मकई फसल प्रजाति की जाँच सबंधी कोऑर्डिनेटेड ट्रायल एवं 62 मकई फसल प्रजाति से जुड़ी स्टेशन ट्रायल का अवलोकन किया। मौके पर परियोजना अन्वेंषक (मकई फसल) डॉ मनिगोपा चक्रवर्ती एवं शस्य वैज्ञानिक (मकई फसल) डॉ सीएस सिंह ने शोध कार्यक्रमों की जानकारी दी।
भ्रमण के दौरान आईसीएआर एवं स्टेट प्लान योजना अधीन उरद, मूंग, अरहर, सोयाबीन, मूंगफली, तिल, गुन्दली, कोदो, रागी आदि फसलों के शोध कार्यक्रमों की स्थिति की भी समीक्षा की गयी। दल ने एमएससी एवं पीएचडी छात्रों द्वारा धान फसल पर चलाये जा रहे शोध कार्यों को भी देखा।
भ्रमण के दौरान डॉ एस कर्माकार, डॉ डीएन सिंह, डॉ सीएस महतो, डॉ नीरज कुमार, डॉ सुनील कुमार, डॉ अरुण पूरण, डॉ सूर्यप्रकाश, डॉ नूतन वर्मा, डॉ शशि किरण तिर्की, डॉ साबिता एक्का, डॉ नर्गिस कुमारी, डॉ सुप्रिया सुपल, डॉ आशियन टूटी, डॉ एनपी यादव आदि भी मौजूद थे।