नीतीश कैबिनेट का बड़ा फैसलाः सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए अब बिहारी होना जरूरी नहीं

बिहार देश
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पटना। बिहार की नीतीश सरकार ने मंगलवार को ऐतिहासिक घोषणा की कि राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षक पद पर भर्ती के लिए अब स्थानीय निवासी होना अनिवार्य नहीं है। कोई भी भारतीय नागरिक इसके लिए आवेदन कर सकता है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का निर्णय लिया गया। यह प्रस्ताव राज्य शिक्षा विभाग द्वारा मंत्रिमंडल के समक्ष रखा गया था। इससे पहले, नई सेवा शर्तों के तहत राज्य सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में शिक्षक के रूप में केवल बिहार के निवासियों की ही भर्ती करने का प्रावधान था।

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने मीडिया से कहा कि अब, राज्य सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए प्रदेश का निवासी होने की अहर्ता अनिवार्य नहीं है। कोई भी भारतीय नागरिक सरकारी शिक्षकों की नौकरियों के लिए आवेदन कर सकता है और यह बाध्यकारी नहीं है कि उसके पास राज्य का अधिवास हो।

बता दें कि राज्य मंत्रिमंडल ने इस साल दो मई को राज्य में प्राथमिक, मध्य और उच्च कक्षाओं के लिए 1.78 लाख शिक्षकों की भर्ती के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा भर्ती की जाएगी। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, भर्ती प्रक्रिया इस साल के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है।

बिहार राज्य स्कूल शिक्षक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनात्मक कार्रवाई और सेवा शर्त) (संशोधन) नियमावली, 2023 में सभी प्रकार के स्कूली शिक्षकों की नियुक्ति के लिए एक मानकीकृत प्रक्रिया बनाई गई है। इस प्रक्रिया के तहत भर्ती होने वाले शिक्षकों का दर्जा राज्य सरकार के कर्मचारियों के बराबर होगा।

अधिकारी ने कहा कि पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) समेत 2006 से नियुक्त लोगों के पास भी इस कैडर में शामिल होने का विकल्प होगा, लेकिन इसके लिए उन्हें परीक्षा देनी होगी।