लोकसभा में चुनाव सुधारों पर सारण सांसद राजीव प्रताप रूडी ने रखीं बातें, जानें क्‍या कहा

बिहार देश
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पटना। लोकसभा में चुनाव सुधारों पर हुई चर्चा के दौरान सारण सांसद सह पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने बिहार में पिछले तीन दशकों के चुनावी हालात, हिंसा, बूथ कब्ज़ा, पुनर्मतदान और सुधारों की बदलती तस्वीर को ऐतिहासिक दृष्टि से प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने 40 वर्षों के राजनीतिक अनुभव को सदन के समक्ष रखा। वर्तमान चुनावी व्यवस्था को भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया।

सांसद रूडी ने मतदान प्रक्रिया पर उठाए जा रहे संदेहों पर कड़ा आपत्ति जताते हुए कहा कि “उंगली पर लगे मतदान के निशान को चुनौती देना बिहार के करोड़ों मतदाताओं की निष्ठा पर प्रश्न उठाना है।”

सांसद ने बताया कि 1990 के दशक से लेकर 2004 तक बिहार में चुनावी हिंसा और बूथ लूट की स्थिति भयावह थी। 1996 में 133 बूथों पर रिपोल और फिर 33 बूथों पर पुनः रिपोल, 1998 में 5,000 से अधिक बूथों पर पुनर्मतदान, तथा 2004 में छपरा लोकसभा क्षेत्र के सभी 1,157 बूथों पर 100 प्रतिशत मतदान जैसी घटनाएं भारतीय चुनाव इतिहास में अभूतपूर्व थीं।

श्री रूडी ने बताया कि बिहार में अब तक 6,000 से अधिक लोग चुनाव-संबंधी हिंसा में मारे गए हैं, जो लोकतंत्र के लिए अत्यंत दुखद और चिंताजनक तथ्य है। 2004 के छपरा के लोकसभा चुनाव को याद करते हुए बूथ लूट के समय पुलिस द्वारा हथियारबंद गिरोहों को संरक्षण दिए जाने जैसे अपने प्रत्यक्ष अनुभव भी उन्होंने सदन के सामने रखे।

श्री रूडी ने 2024 के चुनाव में बिहार में एक भी बूथ पर पुनर्मतदान न होने को चुनाव आयोग और प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुए चुनाव सुधारों का अद्वितीय परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि आज बिहार भयमुक्त, पारदर्शी और शांतिपूर्ण चुनाव का उदाहरण बन चुका है।

विपक्ष द्वारा “अदृश्य मतदाताओं” के नाम पर उठाए आरोपों को आधारहीन और मतदाताओं के प्रति अपमानजनक बताते हुए उन्होंने कहा कि चुनाव भरोसे और जनविश्वास से जीते जाते हैं, न कि भ्रम फैलाने से। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में सामाजिक और राजनीतिक समीकरण में व्यापक परिवर्तन हुआ है। फॉरवर्ड समाज, गरीब वर्ग और सांगा समाज के बीच नई एकता उभरकर सामने आई है।

अंत में, रूडी ने सदन से अपील की कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की प्रतिष्ठा को कमजोर करने वाले बयानों से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत के लोकतंत्र को चोरी बताना देश का अपमान है, और इस प्रकार का प्रचार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को नुकसान पहुंचाता है।

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