अफीम की खेती छोड़ रबी फसल की ओर लौटे ग्रामीण

झारखंड
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  • मुरहू के ओतोंगओड़ा समेत सात टोलों में श्रमदान कर बनाए छह बोरीबांध

खूंटी। जिले के मुरहू प्रखंड की क़ुदा पंचायत अंतर्गत ओतोंगओड़ा और उसके सातों टोलों के ग्रामीणों ने इस वर्ष अफीम की खेती पूरी तरह छोड़ने का निर्णय लिया है। ग्रामीण अब अफीम की जगह रबी फसल और सब्जी की खेती करेंगे। इसके लिए उन्होंने जल संचयन को पहला कदम मानते हुए सामूहिक श्रमदान के जरिये बुधवार को छह बोरीबांध का निर्माण किया।

बोरीबांध ओतोंगओड़ा, रूईटोला, सिदोम जिलाद, निलीगुदा, बन्दा लोर, केड़ा चप्पी डोभा, रंगरूड़ी और हतनादिकिर में बनाए गए। बोरीबांध बनने के बाद गांव के नालों में पानी लबालब भर गया, जिससे रबी फसल की सिंचाई की राह खुल गई।

श्रमदान कार्यक्रम में सेवा वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष अजय शर्मा, मुखिया अमर मुंडू, ग्रामप्रधान अरविंद मुंडा, सामुएल पुर्ती, पूर्व माओवादी दुर्गन हस्सा, सहित सातों टोलों के लगभग 300 से ज्यादा महिला-पुरूषों ने हिस्सा लिया। महिलाओं ने चार स्थानों पर सामूहिक भोजन तैयार किया, जिसे सभी ने मिलकर ग्रहण किया।

इससे पहले ओतोंगओड़ा में मुखिया अमर मुंडू और ग्रामप्रधान अरविंद मुंडा की संयुक्त अध्यक्षता में सातों टोलों की बैठक चार नवंबर को हुई थी। इसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया था कि जल संचयन को विकास का आधार बनाते हुए 12 नवंबर को सामूहिक श्रमदान (मदईत) के तहत बोरीबांध निर्माण किया जाएगा।

कुंदा पंचायत के मुखिया अमर मुंडू ने कहा कि जल संचयन के बाद ग्रामीण अब रबी फसलों और सब्जियों की खेती शुरू करने की तैयारी में हैं। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र, तोरपा के वैज्ञानिकों से तकनीकी सलाह व प्रशिक्षण लेने और कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ लेने के लिए आवेदन दिया जाएगा। प्रशासन थोड़ी भी मदद करती है, तो हम गांव के बड़ा बदलाव लाएंगे।

रूईटोला के ग्राम प्रधान सामुएल पूर्ति ने कहा कि रबी फसल के बाद जेठ के महीने में करेला, कद्दू आदि सब्जी की खेती करेंगे। बोरीबांध बनने के बाद अब सिंचाई के लिए पानी की कमी नहीं होगी। लेकिन अगर प्रशासन सोलर वाटर पंप दे दे, तो खेती का काम और भी तीव्र गति से होगा।

दो महीने पहले ही जेल से छूटकर आए पूर्व माओवादी दुर्गन हस्सा ने कहा कि मेरी योजना है कि मुख्यधारा में रहते हुए सभी ग्रामसभा को साथ लेकर गांव का विकास करना है और अपना परिवार बसाना है। अब खुशहाल परिवार और खुशहाल समाज में रहना चाहता हूं।

बोरीबांध निर्माण में श्रमदान करने वालों में हारूण पूर्ति‍, जेक पूर्ति‍, विमल पूर्ति‍, तुनुर पूर्ति‍, गोडविन पूर्ति‍, आनंदमसीह पूर्ति‍, बुधराम पूर्ति‍, सोमा पूर्ति‍, जीदन पूर्ति‍, सुलेमान पूर्ति‍, विलशन पूर्ति‍, भैरो पूर्ति‍, सिलास पूर्ति‍, नियारण पूर्ति‍, याकूब पूर्ति‍ समेत सातों टोलों के ग्रामीण शामिल हुए।

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