झारखंड में 16 मई से खाद्यान्न नहीं मंगाएंगे व्‍यापारी, बढ़ सकती है परेशानी

झारखंड मुख्य समाचार
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रांची। झारखंड में कृषि उपज पर कृषि शुल्क लागू करने के विरोध में झारखंड चैंबर के नेतृत्व में राज्यस्तर पर पिछले एक माह से आंदोलन चल रहा है। हालांकि राज्य सरकार ने इसपर अब तक संज्ञान नहीं लिया है। इसके मद्देनजर 16 मई, 2022 से राज्य में खाद्यान्न की आवक पूरी तरह से बंद करने का निर्णय लिया गया है। राजधानी रांची में खाद्य वस्तुओं की आवक बंद करने के निर्णयों को प्रभावी करने के लिए झारखंड चैंबर ने पंडरा बाजार में सभी खाद्यान्न व्यवसायियों के साथ 13 मई को बैठक की। इसमें सभी व्यापारियों ने सर्वसम्मति से निर्णय का कठोरता से पालन करने की सहमति जताई।

प्रदेश में 16 मई से खाद्य वस्तुओं की आवक बंद करने के लिए झारखंड चैंबर द्वारा राज्य के सभी जिला चैंबर, खाद्यान्न व्यवसायी, राइस मिलर्स एवं फ्लावर मिलर्स के साथ भी ऑनलाइन बैठक की गई थी। झारखंड चैंबर के आह्वान पर राज्य के सभी जिलों में इस निर्णय को प्रभावी बनाने की पहल शुरू कर दी गई है।

पंडरा बाजार में हुई बैठक के दौरान व्यापारियों ने कहा कि कोविड की विषम परिस्थितियों में भी अपने जानमाल की परवाह किये बगैर सरकार और प्रशासन का सहयोग करते हुए राज्य में खाद्य वस्तुओं की पर्याप्त उपलब्धता बनाई थी। हालांकि वर्तमान में सरकार और ब्यूरोक्रेट्स की हठधर्मिता के कारण हमें खाद्य वस्तुओं की आवक बंद करने का निर्णय लेना पड़ रहा है। इससे जनता को भी परेशानी होगी। कृषि शुल्क से खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढे़गी। जनता को महंगाई से बचाने के लिए हमें कडे़ निर्णय लेने पर विवश होना ही पडे़गा।

चैंबर अध्यक्ष धीरज तनेजा ने कहा कि मीडिया के माध्यम से रोजाना हमें झारखंड की वर्तमान हालात का पता चल रहा है। यह सिलसिला लंबा चलनेवाला है, जिसमें जैसे-जैसे चीजें आगे बढे़गी। इसके मायने और अर्थ निकलते जायेंगे। झारखंड चैंबर का स्पष्ट मानना है कि राज्य में जितने भी मकड़जाल बुनने की कोशिशें की जा रही हैं, यह ब्यूरोक्रेट्स द्वारा जनप्रतिनिधियों को अंधकार में रखकर किया जा रहा है। ब्यूरोक्रेट्स द्वारा अपने फायदे के लिए जनप्रतिनिधियों को गलत दृश्‍य दिखाकर गलत फैसले कराये जा रहे हैं।

रांची चैंबर के व्यापारियों ने कहा कि हमें बताया जा रहा है कि कृषि शुल्क से उगाही की जानेवाली राशि का उपयोग इन क्षेत्रों के उत्थान के लिए किया जायेगा। कृषि विपणन पर्षद् के पास 138 करोड रुपये की फिक्स डिपोजिट उपलब्ध है। बैंकों में और भी फंड होंगे, जिसकी सूचना मांगने पर अब तक उपलब्ध नहीं कराया गया है। जब इतने फंड से भी बाजार मंडियों की व्यवस्था नहीं सुधारी जा सकी है, तब अतिरिक्त फंड की क्या जरूरत है। यह फंड सरकार का नहीं है। यह संस्थागत फंड है, जिसका उपयोग केवल बाजार मंडियों के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए ही किया जा सकता है। आज कृषि मंडियों की स्थिति दयनीय है। मंडियों में सड़क, नाली और दुकान जर्जर अवस्था में हैं। स्ट्रीट लाईट, सुरक्षा, पेयजल और शौचालय तक उपलब्ध नहीं है।

व्‍यापारियों ने कहा कि मार्केटिंग बोर्ड के पदाधिकारियों का दायित्व बनता है कि वे मंडियों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करायें। हालांकि व्यापारियों के निरंतर आग्रह के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। चैंबर अध्यक्ष ने कहा कि जब राज्य में खाद्य वस्तुओं की आवक बंद होगी, तब माल की उपलब्धता कम हो जायेगी। इससे आनेवाले दिनों में परिस्थितियां विकट होंगी, जिसे सरकार को संभाल पाना संभव नहीं होगा। ऐसी विकट स्थिति आने पर सारा दायित्व सरकार का है। हमने इस विधेयक को समाप्त कराने के लए चरणवार प्रयास किये, किंतु हमारे प्रयासों का परिणाम शून्य रहा है। 16 मई से खाद्यान्न की आवक बंद होने के 4 दिनों बाद हम पुनः व्यवस्था का मूल्यांकन कर आगे की रणनीतियों तय कर कार्रवाई की जाएगी।

पंडरा बाजार में हुई बैठक में चैंबर अध्यक्ष धीरज तनेजा, महासचिव राहुल मारू, कार्यकारिणी सदस्य मुकेश अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष अर्जुन प्रसाद जालान, मनोज नरेडी, दीपक कुमार मारू, प्रवीण जैन छाबड़ा, रांची चैंबर से हरि कनोडिया, संजय महुरी, संतोष सिंह, मदन साहू, रोहित कुमार के अलावा रांची चैंबर ऑफ कॉमर्स, आलू-प्याज थोक विक्रेता संघ, आढती एवं वनोपज संघ, कृषि बाजार प्रांगण पंडरा के मुख्य बाजार एवं टर्मिनल मार्केट एवं बाजार प्रांगण के बाहर के अनेक क्षेत्र के सभी कृषि उपज के थोक एवं खुदरा व्यापारी उपस्थित थे।