- नाबार्ड ने सहकारी सम्मेलन का आयोजन किया
रांची। झारखंड गठन के 25 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में बीएनआर चाणक्य में नाबार्ड ने सहकारी सम्मेलन का आयोजन किया। यह सहकारी सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित गतिविधियों की श्रृंखला का एक हिस्सा है। इसका मुख्य उद्देश्य किसान समूहों को मज़बूत करना और सहकारी समितियों के बीच सहयोग बढ़ाना था। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी, वरिष्ठ बैंकर, एसएलबीसी अधिकारी, शिक्षाविद और अन्य हितधारकों ने भाग लिया।
नाबार्ड की सीजीएम श्रीमती दीपमाला घोष ने अपने संबोधन में पिछले 25 वर्षों की नाबार्ड की विकास यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने पैक्स कंप्यूटरीकरण, बहुउद्देश्यीय पैक्स के प्रोत्साहन, सहकारी संस्थाओं के बीच मजबूत साझेदारी के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कृषि, डेयरी और मत्स्य क्षेत्र में मजबूत मूल्य श्रृंखलाएं विकसित करने के प्रति नाबार्ड की प्रतिबद्धता दोहराई।
सहकारिता सचिव अबूबकर सिद्दीख पी ने अन्य प्रगतिशील राज्यों के सफल सहकारिता मॉडलों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने राज्य सरकार की किसानों के लिए 0% ब्याज ऋण जैसी महत्वपूर्ण पहलों का उल्लेख किया। ग्रामीण विकास एवं सहकारिता सुदृढ़ीकरण में नाबार्ड के योगदान की सराहना की।
निबंधक (सहकारी समितियां) शशि रंजन ने उत्तरदायी प्रशासन, पीएसीएस द्वारा तीव्र डिजिटल अपनाने और सरायकेला हल्दी के उदाहरण का उल्लेख किया, जो दर्शाता है कि सहकारी समितियाँ स्थानीय उत्पादों को सफलतापूर्वक बढ़ावा दे सकती हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक ने अपने संबोधन में सहकारी संस्थाओं में सुशासन को सुदृढ़ करने, पारदर्शिता बढ़ाने और वित्तीय स्थिरता के लिए मजबूत संस्थागत प्रक्रियाएं अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
बीएयू के कुलपति डॉ. एस.सी. दुबे और एसएलबीसी के डीजीएम संतोष सिन्हा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी कार्यक्रम में भाग लिया। सहकारिता संस्थाओं को अनुसंधान एवं वित्तीय पारिस्थितिक तंत्र से जोड़ने पर अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम के दौरान नाबार्ड झारखंड की 25 वर्ष की उपलब्धियों, विकास पहलों एवं विभिन्न जिलों की सफलता कहानियों पर आधारित कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया गया। उत्कृष्ट शासन और सेवा प्रदाय के लिए उत्कृष्ट पीएसीएस को सम्मानित किया गया।
“किसान उत्पादक समूह – सहकारिताओं के बीच सहयोग” विषय पर आयोजित पैनल चर्चा में रतेश चतुर्वेदी, जेआरसीएस (सेवानिवृत्त), बीके झा (बीएयू), डॉ. फ़ैयाज़ हुसैन (डीएनएस, पटना), राकेश कुमार (सचिव, सिडकोफीड), जयदेव विश्वास (प्रबंध निदेशक, जेएमएफ), रौशन कुमार (प्रबंध निदेशक, झास्कोफिश) ने भाग लिया।
वक्ताओं ने सहकारिताओं के बीच बेहतर समन्वय, बाज़ार तक पहुंच में सुधार और पीएसीएस के डिजिटल माध्यम से सशक्तिकरण की आवश्यकता पर बल दिया।
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