रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के रांची स्थित विभिन्न महाविद्यालयों में शुक्रवार को देशभक्ति की उमंग और उत्साह के साथ ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ मनाई गई।
रांची कृषि महाविद्यालय सभागार में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं बीएयू के कुलपति डॉ एससी दुबे ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में वंदे मातरम् के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह गीत आज भी पीढ़ियों को समर्पण, ईमानदारी और राष्ट्रप्रेम के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।
स्वागत भाषण करते हुए छात्र कल्याण निदेशक डॉ बीके अग्रवाल ने गीत के ऐतिहासिक और भावनात्मक महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि यह केवल एक गीत नहीं है, बल्कि भारत की आत्मा है- वह पुकार जिसने करोड़ों भारतीयों के हृदय में स्वतंत्रता की ज्वाला प्रज्वलित की।”
श्री अग्रवाल ने बताया कि वंदे मातरम् की रचना बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 1870 के दशक में की थी। इसे उनके प्रसिद्ध उपन्यास आनंदमठ में शामिल किया गया था। यह गीत स्वराज का मंत्र, देशभक्ति का प्रतीक और मातृभूमि के प्रति भक्ति की अभिव्यक्ति बन गया। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे अपने आचरण, समर्पण और मूल्यों के माध्यम से राष्ट्र की गरिमा को बनाए रखने का संकल्प लें।
कार्यक्रम में डॉ डीके शाही, डीन, कृषि संकाय, डॉ पीके सिंह, निदेशक अनुसंधान, शिक्षकगण, अधिकारी तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे, जिससे यह आयोजन यादगार बन गया।
पशुचिकित्सा संकाय में डीन डॉ एमके गुप्त के मार्गदर्शन में, कृषि अभियंत्रण महाविद्यालय में एसोसिएट डीन प्रो. डीके रूसिया के मार्गदर्शन में और वानिकी संकाय में विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक समन्वयक डॉ अरुण कुमार तिवारी के संयोजन में कार्यक्रम आयोजित किया गया।
सभी महाविद्यालयों में कार्यक्रम का समापन सामूहिक रूप से ‘वंदे मातरम्’ के गायन के साथ हुआ, जिससे सभागार देशभक्ति की भावना और उत्साह से गूंज उठा।
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