- झारखंड में मानसिक स्वास्थ्य सहायता तंत्र को सशक्त करने पर एकजुट
रांची। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस और अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस पर यूनिसेफ झारखंड ने स्वास्थ्य एवं शिक्षा विभाग के सहयोग से 11 अक्टूबर को होटल बीएनआर चाणक्य में राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इनमें सरकारी अधिकारी, यूनिसेफं के प्रतिनिधि, स्वास्थ्य विशेषज्ञ, शिक्षक, काउंसलर और किशोर-किशोरियां शामिल थे। मौके पर बच्चों एवं युवाओं के बीच बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों पर चर्चा की गई। उन्हें सामूहिक प्रयासों के माध्यम से दूर करने के उपायों पर विचार-विमर्श किया गया।
कार्यशाला को संबोधित करते झारखंड के एनएचएम डायरेक्टर शशि प्रकाश झा ने ने कहा कि आज के बढ़ते तनाव और अपेक्षाओं से भरे समय में यह बेहद जरूरी है कि हमारे किशोर जीवन को हंसी, सहजता और आत्मविश्वास के साथ जीना सीखें। प्रत्येक युवा के भीतर असीम संभावनाओं की एक दुनिया छिपी है, उन्हें किसी और से तुलना करने की आवश्यकता नहीं है। हर बच्चा अपने आप में अनोखा है और जब उसे स्वयं पर विश्वास करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, तो वह नई ऊंचाइयों को छू सकता है।
यूनिसेफ प्रमुख डॉ. कनीनिका मित्र ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य हर बच्चे और किशोर के स्वास्थ्य, गरिमा और विकास के अधिकार का अभिन्न हिस्सा है। जब हम युवाओं के अनुभव सुनते हैं, तब पाते हैं कि उनके संघर्ष अक्सर सामाजिक दबाव, शैक्षणिक तनाव और संरचनात्मक सीमाओं से जुड़े होते हैं। यूनिसेफ, झारखंड सरकार के साथ मिलकर शिक्षा, स्वास्थ्य और बाल संरक्षण प्रणालियों में मानसिक स्वास्थ्य सहायता को सशक्त और एकीकृत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
यूनिसेफ झारखंड की कम्युनिकेशन, एडवोकेसी एवं पार्टनरशिप स्पेशलिस्ट सुश्री आस्था अलंग ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य सभी हितधारकों-सरकार, शिक्षकों एवं स्वास्थ्य पेशेवरों को एक मंच पर लाना था, ताकि बच्चों और युवाओं के सामने आने वाली मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों पर चर्चा की जा सके। खुले संवाद, साझा समझ और सामूहिक प्रतिबद्धता के माध्यम से हम ऐसे व्यावहारिक और स्थायी समाधान विकसित करना चाहते हैं, ताकि कोई भी बच्चा खुद को अकेला और निःसहाय न समझे।
हेल्थ ऑफिसर (यूनिसेफ) डॉ. वनेश माथुर ने किशोर-किशोरियों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर की गई पहल और उसकी प्रगति एवं चुनौतियों पर तकनीकी प्रस्तुति दी। सुश्री पारुल शर्मा (एजुकेशन स्पेशलिस्ट) ने पैनल चर्चा का संचालन किया। इसमें डॉ. निशांत गोयल (सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकियाट्री, रांची), सुश्री गोपिका आनंद (निदेशक, दीपशिखा), और सुश्री शांतना (राज्य सलाहकार, मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ, एनएचएम) ने भाग लिया।
कार्यक्रम का समापन एक खुले विचार-विमर्श के साथ हुआ। इसमें सरकारी विभागों, नागरिक समाज संगठनों और मीडिया से अपील की गई कि वे मानसिक स्वास्थ्य पर संवाद को प्रोत्साहित करने और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर किशोर-किशोरियों को बिना भय या हिचक के सहायता लेने के लिए प्रोत्साहित करने में सहयोग करें।
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