- छठ पूजा पर सम्मानित कर रहा है बिहार की टिकुली कला को
रांची। टाटा टी अग्नि ने छठ पूजा के पवित्र पर्व के लिए प्रस्तुत लिमिटेड-एडिशन फेस्टिव पैक किए हैं, जिन्हें बिहार की पारंपरिक टिकुली कला से सजाया गया है। हाथों से बनाए जाने वाले, बहुत ही महीन डिज़ाइन वाली टिकुली कला की शुरुआत 800 से भी अधिक साल पहले हुई थी।
टाटा टी अग्नि के हर पैक को बिहार की प्राचीन, समृद्ध परंपराओं, कलाओं, इतिहास और संस्कृति को सम्मानित करने के लिए बनाया गया है। प्रत्येक पैक छठ पूजा के चार दिनों की भक्ति और अनुष्ठानों को दर्शाता है: नहाय खाय, खरना, संध्या अर्घ्य, और उषा अर्घ्य।
इन पैक को जाने-माने टिकुली कलाकार पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित अशोक कुमार बिस्वास के कलात्मक निर्देशन में डिज़ाइन किया गया है। बिहार की प्राचीन टिकुली कला को पुनर्जीवित करने और उसे लोक कला के रूप में बढ़ावा देने के लिए श्री बिस्वास ने अपना पूरा जीवन समर्पित किया है।
श्री बिस्वास ने टिकुली कला और मिथिला चित्रकला इन दो अलग-अलग कला शैलियों को एक साथ मिलाकर, पुराने और पारंपरिक डिज़ाइनों को एक नया और आधुनिक रूप देकर बहुत ही सुंदर कलाकृतियां बनाई हैं।
चार फेस्टिव पैक छठ के चार दिनों का दृश्य चित्रण प्रस्तुत करते हैं – नहाय खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य। हर पैक छठ के चार दिनों की परंपराओं को टिकुली कला की बारीकियों से जोड़ते हुए, रोजमर्रा के जीवन में चाय की चुस्कियों के साथ खूबसूरती से मिला देता है।
फेस्टिव पैक के साथ-साथ ब्रांड ने एक ऐसा विज्ञापन भी लॉन्च किया है जो छठ पूजा के सार, भक्ति, एकजुटता और परंपरा के प्रति सम्मान को दर्शाते हुए, गहरी भावनाओं, यादों को जगाता है। दर्शकों के साथ जुड़ाव को और भी मज़बूत करता है।
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टाटा कंज़्यूमर प्रोडक्ट्स के भारत और दक्षिण एशिया के पैकेज्ड बेवरेजेस के प्रेसिडेंट पुनीत दास ने बताया कि टाटा टी अग्नि लीफ ने हमेशा से माना है कि हमारी भूमिका बेहतरीन चाय देने तक की सीमित नहीं है। हम हमारे उपभोक्ताओं की ज़िन्दगियों और उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण पलों में शामिल होना चाहते हैं। छठ पूजा एक ऐसा ही अवसर है, जो भक्ति, धैर्य और कृतज्ञता का उत्सव है और परिवारों और समुदायों को एक सूत्र में पिरोता है।
बिहार की प्राचीन टिकुली कला से प्रेरित हमारे लिमिटेड-एडिशन फेस्टिव पैक, नहाय खाय से लेकर उषा अर्घ्य तक के हर पर्व की खूबसूरती को दर्शाते हैं। राज्य की कला विरासत को सम्मानित करते हैं।
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