अभिषेक रॉय
रांची/ब्रिटेन। यूनाइटेड किंगडम में बसे भारतीय समुदाय (झारखंड और पश्चिम बंगाल) के बीच ‘दीवाली’ और ‘काली पूजा’ की रोशनी एक बार फिर उजाला बिखेर रही है। इस वर्ष, इन दोनों पर्वों ने ना केवल भक्ति का उत्सव मनाया, बल्कि भारतीय संस्कृति की एकता और विविधता का भी संदेश दिया।
लंदन में ‘कैमडन काली पूजा’ अब एक प्रमुख सांस्कृतिक आयोजन बन चुकी है। वर्ष, 2003 में कुछ बंगाली परिवारों द्वारा शुरू किया गया यह छोटा-सा आयोजन अब यूके के सबसे लोकप्रिय सामुदायिक पर्वों में से एक है। इस वर्ष यह उत्सव पहली बार हाइड पार्क, लंदन के प्रतिष्ठित स्थल पर आयोजित किया जा रहा है।
“लाइट एक्रॉस कल्चर्स’ थीम के साथ यह पर्व विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ते हुए परंपरा और आधुनिकता का सुंदर संगम पेश कर रहा है। “ढाक” की थाप, दीपों की झिलमिलाहट और अगरबत्तियों की सुगंध ने हाइड पार्क को भक्ति और आनंद के रंगों से भर दिया है।
आयोजन में भारतीय शास्त्रीय नृत्य, कविता-पाठ और पारंपरिक व्यंजनों के साथ आतिशबाज़ी ने पूर्व और पश्चिम के मिलन का प्रतीक प्रस्तुत किया।

कैमडन काली पूजा के ऑनर लोकखी मित्तल ने कहा कि यह केवल एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सामुदायिक एकता और सेवा भावना का प्रतीक बन चुकी है। वरिष्ठ सदस्य पूजा-अर्चना का संचालन करते हैं।
युवा पीढ़ी अपनी डिजिटल और रचनात्मक ऊर्जा से इसे आधुनिक स्वरूप देती है। इस वर्ष आयोजन में चैरिटी ड्राइव्स, आर्ट वर्कशॉप्स और सांस्कृतिक प्रदर्शन भी शामिल हैं।
कैमडन काली पूजा के अध्यक्ष उषा मित्तल और आनंदो गुप्ता ने बताया कि स्कॉटलैंड के एडिनबर्ग हिन्दू मंदिर में भी “काली पूजा” की तैयारियां चरम पर हैं।
लगभग 300 भक्त, बंगाली और गैर-बंगाली, एक साथ आरती, मंत्रोच्चार और प्रसाद वितरण में भाग ले रहे हैं। दीयों की रौशनी में सजी मां काली की प्रतिमा श्रद्धा और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक बनेगी।
कैमडन समिति और अन्य स्थानीय बंगाली संगठनों ने इन आयोजनों को समर्थन दिया है, जिससे ब्रिटेन में बसे भारतीय समुदायों के बीच आपसी सहयोग और अपनत्व की भावना और मजबूत हुई है।
लंदन के हाइड पार्क से लेकर एडिनबर्ग के मंदिर तक, इन उत्सवों ने यह संदेश दिया कि चाहे आसमान बादलों से ढका हो या दीपों से सजा “काली पूजा” और “दीवाली” की रोशनी हर दिल को प्रेम, विश्वास और एकता से जगमगा देती है।
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