- झारखंड में वेक्टर जनित रोग नियंत्रण एवं अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रम की समीक्षा
रांची। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की अपर सचिव एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की अभियान निदेशक श्रीमती आराधना पटनायक की अध्यक्षता में बुधवार को नामकुम स्थित आर.सी.एच सभागार में झारखंड में वेक्टर जनित रोग नियंत्रण एवं अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रम की राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई।
बैठक में श्रीमती आराधना पटनायक ने झारखंड में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, कालाजार और फाइलेरिया जैसे वेक्टर जनित रोगों की वर्तमान स्थिति पर गहन चर्चा की। समय रहते नियंत्रण के प्रभावी उपाय सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही, बैठक में राज्य में संचालित वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रमों की प्रगति, चुनौतियां एवं आगामी कार्य योजनाओं की विस्तृत समीक्षा की।
श्रीमती आराधना पटनायक ने वर्चुअल माध्यम से जुड़े सभी जिलों के उपायुक्त एवं सभागार में उपस्थित सिविल सर्जन से कहा कि डेंगू, मलेरिया, फाइलेरिया, कालाजार एवं चिकनगुनिया वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए समन्वित प्रयास की आवश्यकता है। इसके लिए समय पर सर्वेक्षण जन जागरुकता स्वच्छता सामुदायिक भागीदारी एवं प्रभावी निगरानी की आवश्यकता है। गुणवत्ता का ध्यान देना भी जरूरी है l
उन्होंने कहा कि सभी स्वास्थ्यकर्मियों,सहिया एवं सुपरवाइज़रों के लिए निरंतर प्रशिक्षण आयोजित किए जाएं, ताकि वे नवीनतम तकनीकों, रोग पहचान और नियंत्रण के उपायों में दक्ष हो सकें। इसके अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों की ट्रेनिंग दिसंबर तक पूर्ण करने का निर्देश दिया।
सिकल सेल एनीमिया कार्ड का वितरण प्रखंड स्तर तक ज्यादा से ज्यादा करने की बातें कही l झारखंड में 31 दिसंबर तक सभी कमजोर आबादी का टीबी से संबंधित एक्स-रे एवं स्क्रीनिंग करने का निेर्देश सभी सिविल सर्जन को दिया।
बैठक के दौरान डा. तनु जैन निदेशक (एनसीवीबीडीसी) ने कहा कि झारखंड ने वर्ष 2023 में कालाजार उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। बालू मक्खी से फैलने वाली बीमारी कालाजार पर नियंत्रण के लिए घरों में कीटनाशक का छिड़काव एवं मरीज की समय पर जांच और उपचार सुनिश्चित किया जाना चाहिए, ताकि ये फिर से ना बढ़ सके। समय- समय पर सर्विलांस, मॉनिटरिंग एवं क्वालिटी आईआरएस (घर के अंदर की दीवारों पर कीटनाशक का छिड़काव) के साथ क्षेत्रीय भाषा में आईसी का उपयोग करके हम कालाजार पर पूर्ण रूप से नियंत्रण प्राप्त कर सकते हैं।
डॉ छवि पंत जोशी ने हाथी पांव रोग को लेकर सभी जिलों की समीक्षा की। इसकी जागरुकता एवं बचाव के लिए विस्तृत दिशा निर्देश दिए। हाथी पांव से बचाव के लिए साल में दो बार एमडीए राउंड का आयोजन किया जाता है, जिसमें सभी योग्य लाभुकों को फाईलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाती है।
झारखंड के अभियान निदेशक शशि प्रकाश झा ने कहा कि मलेरिया एवं अन्य वेक्टर जनित रोगों से बचाव के लिए सभी जिलों में जल जमाव प्रबंधन पर ध्यान देने की जरूरत है। जल जमाव प्रबंधन एवं बचाओ के अन्य उपायों को अपना कर हम मलेरिया एवं अन्य वेक्टर जनित रोगों को कम कर सकते है।
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