जमशेदपुर। भारत के पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी उमेश विक्रम कुमार को आधिकारिक रूप से पुरुष एकल वर्ग में विश्व नंबर 1 का खिताब मिला है। यह घोषणा 2 सितंबर, 2025 को जारी नवीनतम बीडब्ल्यूएफ पैरा बैडमिंटन विश्व रैंकिंग में की गई। यह उपलब्धि न केवल कुमार के शानदार करियर का ऐतिहासिक पड़ाव है, बल्कि भारतीय पैरा खेलों के लिए भी एक महत्वपूर्ण क्षण है।
कुमार का विश्व नंबर 1 तक का सफर बेहद प्रेरणादायी रहा है, जिसमें 2025 सीज़न के दौरान उनके शानदार प्रदर्शन की श्रृंखला शामिल है। शीर्ष स्थान तक पहुंचने की उनकी यात्रा जनवरी में आयोजित इजिप्ट पैरा बैडमिंटन चैम्पियनशिप में पुरुष एकल में स्वर्ण पदक और पुरुष युगल में रजत पदक जीतने से शुरू हुई। इसके बाद उन्होंने मार्च में आयोजित स्पेन पैरा बैडमिंटन चैम्पियनशिप में पुरुष युगल वर्ग में रजत पदक हासिल कर अपनी सफलता को और आगे बढ़ाया।
मई में, कुमार ने दुबई पैरा बैडमिंटन चैम्पियनशिप में एकल और युगल दोनों वर्गों में रजत पदक जीते। उनका निरंतर शानदार प्रदर्शन जून में बहरीन पैरा बैडमिंटन चैम्पियनशिप में दोनों वर्गों में कांस्य पदक और कोराट में आयोजित एशियन पैरा बैडमिंटन चैम्पियनशिप में पुरुष एकल में कांस्य पदक जीतकर जारी रहा।
हाल ही में, कुमार ने जुलाई में आयोजित 4 नेशंस ब्रिटिश एंड आयरिश पैरा बैडमिंटन इंटरनेशनल – लेवल 1 में पुरुष एकल वर्ग में रजत पदक और अगस्त में पेरू पैरा बैडमिंटन इंटरनेशनल में पुरुष एकल में कांस्य पदक अपने नाम किए। 2025 सीज़न से आगे बढ़ते हुए भी कुमार ने वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाई है, जहाँ उन्होंने बीडब्ल्यूएफ पैरा बैडमिंटन वर्ल्ड चैम्पियनशिप में पुरुष युगल वर्ग में दो कांस्य पदक जीते हैं।
एक विशेष बातचीत में श्री कुमार ने अपनी सफलता की यात्रा और उस सहयोग प्रणाली के बारे में विस्तार से बताया, जिसने उनके सपनों को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उन्होंने कहा, “एक सक्रिय खिलाड़ी और खेलों के प्रति गहरी लगन रखने वाले व्यक्ति के रूप में, टाटा स्टील के स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट से जुड़ना मेरे लिए बेहद समृद्ध और प्रेरणादायी अनुभव रहा है।”
पुरुष एकल वर्ग में कुमार का विश्व नंबर 1 के स्थान पर पहुंचना उनके कठिन परिश्रम, धैर्य और उत्कृष्टता की निरंतर खोज का प्रमाण है। उनकी यह सफलता न केवल पूरे देश के लिए गर्व का विषय है, बल्कि वैश्विक पैरा खेलों में भारत की प्रतिष्ठा को भी मज़बूत करती है। आने वाली पीढ़ी के खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बनते हुए, कुमार की यात्रा इस बात का प्रमाण है कि समर्पण और निरंतर प्रयास से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
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