- पांच अक्टूबर के देश के कई राज्यों के शिक्षक संघों की दिल्ली में होगी संयुक्त बैठक
रांची। निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम 2009 के तहत 2010 में शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता निर्धारित होने से पहले के नियुक्त एवं सेवारत शिक्षकों को सेवा में बने रहने और प्रोन्नति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने को अनिवार्य करने संबंधी सर्वोच्च न्यायालय के एक निर्णय ने झारखंड सहित पूरे देश के लाखों शिक्षकों को झकझोर कर रख दिया है। नियम लागू होने की पीछे की तिथि से इसे लागू करने के सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश से शिक्षकों में असहमति है।
इसलिए अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने टेट की अनिवार्यता करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध आज सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दायर किया है। याचिका के माध्यम से संघ ने न्यायालय से राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के 2010 की अधिसूचना और अन्य कानूनों के आलोक में आदेश को निरस्त करने का अनुरोध किया है।
संघ के अध्यक्ष अनूप केसरी, महासचिव राम मूर्ति ठाकुर का कहना है कि कोर्ट के द्वारा भारत सरकार और झारखंड सरकार के स्थापित नियमों के विपरीत जाकर फैसला दिया गया है। इसलिए भारत सरकार और झारखंड सरकार भी रिव्यू पेटीशन दायर करे। अपने लाखों शिक्षकों की सेवा बचाए, उनके परिवार को परेशानियों से बचाए।
इस दिशा में अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ राष्ट्रीय स्तर पर अन्य राज्यों के साथ मिलकर मुहिम चलाकर सरकारों से इस ओर मांग करेगी। पांच अक्टूबर को नई दिल्ली में झारखंड, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान,छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र सहित कई राज्य के शिक्षक प्रतिनिधियों की एक अहम बैठक बुलाई गई है, जिसमें आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।
उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर सहित कई राज्य सरकारों ने सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिक दायर किया है। कई अन्य राज्य ने पिटिशन दायर करने की घोषणा की है। इसी प्रकार झारखंड सरकार को भी सरकार की ओर से रिव्यू पिटिशन दायर करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता आर के सिंह ने संघ की याचिका दायर की।
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