‘व्यसन के बढ़ते मामलों को अब सामाजिक चुनौती के रूप में भी देखा जा रहा’

झारखंड सेहत
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  • सीआईपी में राष्ट्रीय कार्यशाला में व्यसन प्रबंधन में नवाचारों पर चर्चा

रांची। केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान (सीआईपी) के क्लिनिकल मनोविज्ञान विभाग ने 1 और 2 अगस्त को राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन सोसाइटी फॉर एडिक्शन साइकोलॉजी के सहयोग से सीआईपी परिसर में किया। इसका विषय ‘व्यसनी व्यवहार को समझना और प्रबंधित करना : एक नवीन दृष्टिकोण’ था। इसका उद्देश्य व्यसन प्रबंधन के क्षेत्र में नवीनतम विकास एवं साक्ष्य-आधारित उपायों पर चर्चा के लिए विशेषज्ञों को एक साझा मंच प्रदान करना था।

उद्घाटन सत्र की शुरुआत सीआईपी के निदेशक डॉ. विजय कुमार चौधरी के स्वागत से हुई। इसके बाद प्रोफेसर (मनोरोग विभाग एवं अकादमिक प्रभारी) प्रो. (डॉ.) निशांत गोयल, सहायक प्रोफेसर (क्लिनिकल मनोविज्ञान, आईएचबीएएस, नई दिल्ली एवं जर्नल ऑफ सोसाइटी फॉर एडिक्शन साइकोलॉजी के प्रधान संपादक) डॉ. नवीन ग्रोवर  और सहायक प्रोफेसर (क्लिनिकल मनोविज्ञान एवं आरसीआई समन्वयक, सीआईपी) डॉ. महाश्वेता भट्टाचार्य ने उद्घाटन उद्बोधन प्रस्तुत किए।

कार्यशाला के मुख्य अतिथि रिनपास के निदेशक प्रो. (डॉ.) अमूल रंजन सिंह ने कहा कि व्यसन के बढ़ते मामलों को अब केवल एक चिकित्सकीय समस्या ना मानकर सामाजिक चुनौती के रूप में भी देखा जा रहा है। इसे संरचित और कौशल-आधारित हस्तक्षेपों द्वारा संबोधित किया जाना आवश्यक है। उन्होंने यह भी बल दिया कि प्रभावी प्रबंधन के लिए साक्ष्य-आधारित तकनीकों और प्रशिक्षित पेशेवरों की आवश्यकता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

कार्यशाला के पहले दिन के वैज्ञानिक सत्रों में डॉ. शुभव्रत पोद्दार (सहायक प्रोफेसर, एप्लाइड साइकोलॉजी, काज़ी नजरुल विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल) द्वारा “व्यक्तित्व और व्यसन”, प्रो. (डॉ.) संजय कुमार मुंडा (प्रोफेसर, मनोरोग विभाग, सीआईपी) द्वारा “डिससोशल पर्सनैलिटी”, प्रो. (डॉ.) गौरी शंकर कलोइया (प्रोफेसर, क्लिनिकल मनोविज्ञान, एनडीडीटीसी, एम्स, नई दिल्ली) द्वारा “मोटिवेशनल इंटरव्यूइंग” और डॉ. सादिक (सहायक प्रोफेसर, क्लिनिकल मनोविज्ञान, सीआईपी) द्वारा “संक्षिप्त हस्तक्षेप” विषयों पर प्रस्तुति दी गईं।

दूसरे दिन डॉ. नवीन ग्रोवर द्वारा “रिलैप्स प्रिवेंशन के लिए संज्ञानात्मक व्यवहारिक चिकित्सा”, डॉ. महाश्वेता भट्टाचार्य द्वारा “व्यसन में संज्ञानात्मक कमियाँ”, प्रो. (डॉ.) सौरव खानरा (प्रोफेसर, मनोरोग विभाग, सीआईपी) द्वारा “व्यवहारिक व्यसन”, डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव (सहायक प्रोफेसर, मनोरोग सामाजिक कार्य, सीआईपी) द्वारा “सामाजिक-सांस्कृतिक दृष्टिकोण” और डॉ. सेंथिल एम (सहायक प्रोफेसर, मनोरोग सामाजिक कार्य, सीआईपी) द्वारा “परिवार आधारित हस्तक्षेप” विषयों पर सत्र आयोजित किए गए।

धन्यवाद सुश्री चांदनी मिश्रा (सहायक प्रोफेसर, क्लिनिकल मनोविज्ञान) ने किया। सुश्री अलीशा अरोड़ा (सहायक प्रोफेसर, क्लिनिकल मनोविज्ञान) की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यशाला के अवसर पर देशभर से मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं छात्रों ने भाग लिया। व्यसन मनोविज्ञान के क्षेत्र में वर्तमान चुनौतियों एवं समाधानों पर सार्थक विचार-विमर्श हुआ।

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