धनबाद। बुधवार को बड़ी खबर आई है, धनबाद के चर्चित नीरज सिंह हत्याकांड में पूर्व विधायक संजीव सिंह को कोर्ट ने बरी कर दिया। यह मामला वर्षों से अदालत में विचाराधीन था और अब अदालत ने इस केस में अपना अंतिम निर्णय दिया। सभी 8 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया। वहीं नीरज सिंह के भाई अभिषेक सिंह ने कहा कि वो इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे।
धनबाद के एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व डिप्टी मेयर और कांग्रेस नेता नीरज सिंह की हत्या के मामले में पूर्व बीजेपी विधायक संजीव सिंह को बरी कर दिया गया है। विशेष अदालत में दुर्गेश चंद्र अवस्थी ने इस हाईप्रोफाइल मामले पर फैसला सुनाया और सबूत के अभाव में सभी को बरी कर दिया।
बताते चलें कि, 21 मार्च 2017 को धनबाद के सरायढेला स्टील गेट के पास अंधाधुंध फायरिंग कर नीरज सिंह समेत चार की हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में 11 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इसमें तीन आरोपी अभी भी जेल में बंद हैं और संजीव सिंह समेत अन्य आरोपी जमानत पर जेल से बाहर हैं।
संजीव सिंह आठ अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद 11 अगस्त को ही जेल से बाहर निकले थे। संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह अभी झरिया से बीजेपी की विधायक हैं, वहीं नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिया नीरज सिंह झरिया से कांग्रेस की विधायक रह चुकी हैं।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 37 गवाह पेश किये और बचाव पक्ष की ओर से पांच गवाह पेश किये गए थे। इस वारदात के चार चश्मदीद गवाह भी थे।
इस ऐतिहासिक फैसले के बाद संजीव सिंह समर्थकों में काफी उत्साह है। जबकि नीरज सिंह के समर्थकों में मायूसी है। मामला बेहद संवेदनशील होने के कारण जिला प्रशासन और पुलिस ने एहतियातन शहर भर में व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की है। आज दिन भर कोर्ट परिसर पुलिस छावनी में तब्दील रहा, जबकि शहर के हर चौक चौराहों पर पुलिस की तैनाती देखी गई।
पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह को 21 मार्च 2017 की शाम उनके तीन समर्थकों के साथ अत्यधिक हथियार से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यह मामला पिछले आठ साल से अदालत में विचाराधीन था।
इस हत्याकांड के आरोप झरिया के पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह समेत अन्य लोगों पर लगाया गया था। जिसके बाद से ही संजीव सिंह जेल में बंद थे। इस हत्याकांड के बाद धनबाद ही नहीं, बल्कि पूरे झारखंड की राजनीति में हलचल तेज रही। आज फैसले को लेकर धनबाद एसएसपी प्रभात कुमार ने सुरक्षा व्यवस्था का पुख्ता इंतजाम किया था।
पुलिस लाइन और धनबाद थाना से अतिरिक्त बल को तैनात किया गया है। कोर्ट परिसर के चारों ओर बैरिकेडिंग कर दी गई है और केवल केस से जुड़े पक्षकारों और उनके अधिवक्ताओं को ही प्रवेश की अनुमति दी गई थी। आम लोगों का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित रहा।
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