
बोकारो। बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड अंतर्गत तिलैया पंचायत के कारीपानी गांव के रहने वाले प्रवासी मजदूर गणेश करमाली (39) का शव 13 दिनों बाद पश्चिमी अफ्रीकी देश नाइजर से कारीपानी पहुंचा। सोमवार रात में शव जैसे ही एम्बुलेंस से कारीपानी गांव पहुंचा, ग्रामीणों की भीड़ जुट गई। शव पहुंचते ही परिजनों के चीत्कार से माहौल गमगीन हो गया। पत्नी और बच्चों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया।
गणेश करमाली अपने पीछे मां गोलकी देवी, पिता धनाराम करमाली,पत्नी यशोदा देवी और दो बेटियों राजकुमारी (17 वर्ष), ज्योति कुमारी (5 वर्ष) और एक पुत्र अंशू कुमार (2 वर्ष) को छोड़ गए। गणेश घर के इकलौता कमाऊ सदस्य थे। उनके 10 साल के बेटे की पांच साल पहले ट्रेन में कटकर मौत हो गई थी। एक माह पूर्व गणेश की बेटी की शादी हुई है। उस समय भी कंपनी से छुट्टी नहीं मिलने के कारण वे गोमिया नहीं आ सके थे।
बताते चलें कि 15 जुलाई, 2025 को पश्चिमी अफ्रीकी देश नाइजर में अज्ञात अपराधियों ने ट्रांसरेल लाइटिंग लिमिटेड कंपनी के गणेश करमाली और यूपी के रहने वाले कृष्णा गुप्ता को गोली मारकर हत्या कर दी गई। जम्मू कश्मीर के रहने वाले रणजीत सिंह को आतंकियों ने किडनैप कर लिया।
इधर, सूचना मिलते ही प्रवासी मजदूरों के हितार्थ काम करने वाले सिकंदर अली कारीपानी पहुंचे। उन्होंने घटना को दुखद बताते हुए कहा कि यह पहली घटना नहीं है। इसके पूर्व भी विदेशों से की महीने बाद शव आने का रिकॉर्ड है। इससे पहले 25 अप्रैल, 2025 को नाइजर में ही झारखंड के गिरिडीह जिले के बगोदर के पांच मजदूरों का अपहरण हुआ था। जिनकी रिहाई अब तक नहीं हो पाई है। इस तरह की लगातार घटनाएं प्रवासी भारतीय मजदूरों की सुरक्षा को लेकर के सवाल खड़े करते हैं।
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