इस मामले को लेकर ग्रामीणों से मिलीं आशा लकड़ा, फिर राज्यपाल को बताईं पूरी बात

झारखंड
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रांची। ग्रामीणों की शिकायत पर शनिवार को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा नगड़ी पहुंचीं और ग्रामीणों से पूरी जानकारी ली। दरअसल, कांके प्रखंड के नगड़ी क्षेत्र में कृषि योग्य भूमि पर रिम्स-2 अस्पताल  के प्रस्तावित निर्माण को लेकर विवाद गहराता जा रहा है।

मौके पर डॉ. लकड़ा ने बताया कि कुछ दिन पहले नगड़ी के रैयत उनसे मिलने आए थे और उन्होंने भूमि अधिग्रहण के इस मामले को अत्यंत गंभीर बताया। ग्रामीणों का कहना है कि जिन जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है, वे न केवल उपजाऊ कृषि भूमि हैं, बल्कि आजीविका का एकमात्र साधन भी हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि, कांके से नगड़ी की ओर पूर्वी क्षेत्र में लगभग 202 एकड़ और पश्चिमी क्षेत्र में 25 एकड़ भूमि है, जिस पर करीब 250 परिवार निर्भर हैं। यदि इस भूमि पर रिम्स-2 का निर्माण होता है, तो ग्रामीणों के पास कोई वैकल्पिक भूमि नहीं बचेगी।

डॉ. आशा लकड़ा ने यह भी बताया कि यदि अधिग्रहित भूमि पर पांच वर्षों तक कोई निर्माण कार्य नहीं होता है, तो वह भूमि पुनः रैयतों की मानी जाती है। आयोग ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है, जिसे राज्य सरकार, राष्ट्रपति भवन और केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा।

निरीक्षण के पश्चात डॉ. आशा लकड़ा ने आयोग की पांच सदस्यीय टीम के साथ राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार से शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान उन्होंने पेसा कानून, रिम्स-2 परियोजना तथा आदिवासी समाज से जुड़े अन्य संवेदनशील विषयों पर आयोग द्वारा की जा रही कार्रवाई की जानकारी दी।

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