रांची। भारतीय पशु चिकित्सा संघ ने भारत सरकार द्वारा भारतीय मात्स्यिकी और पशुचिकित्सा अनुसंधान परिषद की स्थापना सम्बन्धी भारत सरकार की पहल का स्वागत किया है। यह परिषद भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की तर्ज पर स्थापित की जाएगी।
पशुधन क्षेत्र और मात्स्यिकी क्षेत्र का राष्ट्रीय सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) में क्रमशः 5.50% और 1.069% का योगदान है, जो कृषि सकल मूल्य वर्धन में क्रमशः 30.23% और 6.86% का हिस्सा है।
इंडियन वेटरिनरी एसोसिएशन की राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. नंदनी कुमारी ने कहा कि भारतीय पशु चिकित्सा संघ लंबे समय से पशु चिकित्सा और मात्स्यिकी अनुसंधान के लिए एक अलग शीर्ष निकाय की स्थापना की मांग कर रहा था। इसका मुख्य उद्देश्य केंद्रित अनुसंधान और विकास, समय पर क्षेत्र-विशिष्ट वैज्ञानिक इनपुट देना और नीति कार्यान्वयन के साथ-साथ इन क्षेत्रों को अधिक स्वायत्तता सुनिश्चित करना है।
डॉ नन्दनी ने कहा कि यह अलग शीर्ष निकाय विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों को लक्षित पाठ्यक्रम और दोनों क्षेत्रों के लिए बढ़े हुए वित्तपोषण में सहायता करेगा। जबकि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद कृषि अनुसंधान में अग्रणी बनी रहेगी, उसकी विरासत और मानक प्रस्तावित परिषद को पशुचिकित्सा और मात्स्यिकी अनुसंधान में उत्कृष्टता प्रदान करने में मार्गदर्शन करेंगे।
देश भर के पशु चिकित्सकों और संबंधित पेशेवरों की ओर से, इंडियन वेटरिनरी एसोसिएशन ने इस प्रगतिशील निर्णय के लिए केंद्र सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया है। इस संस्थागत ढांचे की शीघ्र स्थापना की आशा व्यक्त की है।
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