मुख्यमंत्री ने व्यवसायिक खेती और कृषि उत्पादों के वैल्यू एडिशन बढ़ाने पर दिया जोर

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  • हेमंत सोरेन ने मेधा डेयरी प्लांट परिसर में मिल्क पाउडर प्लांट की रखी आधारशिला 

रांची। किसानों का कल्याण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। किसान भाइयों की आय कैसे  बढ़े, वे कैसे समृद्ध, सशक्त और स्वावलंबी हों,इस सोच के साथ हमारी सरकार उनके साथ हर मोर्चे पर खड़ी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज मेधा डेयरी प्लांट, होटवार, रांची में राज्य के पहले मिल्क पाउडर प्लांट की आधारशिला रखने के उपरांत हरिवंश टाना भगत स्टेडियम, होटवार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास निरंतर जारी है। इस सिलसिले में कई योजनाएं चल रही है और आने वाले दिनों में कई और योजनाएं धरातल पर उतारी जाएगी। आप इन योजनाओं से जुड़ें और अपने साथ राज्य को मजबूत बनाने में सहयोग दें। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर मेधा रागी लड्डू, मेधा सूधन खाद और जानवरों का चारा बनाने वाली मशीन- साइलेज को लांच किया।

व्यवसायिक कृषि आज की जरूरत

मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यवसायिक कृषि आज की जरूरत है। कृषि उत्पादों का वैल्यू एडिशन कैसे बढ़े, इस पर भी विशेष ध्यान देना है। मुख्यमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर  महेंद्र सिंह धोनी का उदाहरण देते हुए कहा कि एक क्रिकेटर जब कृषि के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं, तो 24 घंटे खेती से जुड़ा रहने वाला किसान क्यों आगे नहीं बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार कई माध्यमों से सहयोग कर रही है। ऐसे में आप अपनी खेती को व्यवसायिक स्वरूप देने की दिशा में कदम बढ़ाएं।

अर्थव्यवस्था आगे नहीं बढ़ सकती

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश और राज्य की अर्थव्यवस्था में कृषि-पशुपालन का  अहम योगदान है। यह बड़ी संख्या में लोगों के आजीविका का साधन है। एक ऐसा भी वक्त था- जब जय जवान- जय किसान का नारा यह बताने के लिए ही काफी था कि हमारी अर्थव्यवस्था में किसानों की ताकत कितनी अहमियत रखती थी। हालांकि, आज परिस्थितियां बदली है, लेकिन इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि कृषि के बिना अर्थव्यवस्था आगे नहीं बढ़ सकती है।

जिंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती

किसानों के उत्पादों से लोगों का पेट भरता है। अगर अनाज का उत्पादन नहीं हो, तो जिंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती है। हमारी सरकार तमाम चुनौतियों के बीच भी कृषि- पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।  आपके उत्पादित धान को सरकार क्रय करती है। किसानों को प्रोत्साहन और आर्थिक सहायता देने के लिए कई योजनाएं हैं। हमारा मकसद कृषि को और मजबूती देना है।

कृषि‍ से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में तरह-तरह के कई उद्योग धंधे संचालित हैं। फैक्टरियों की वजह से पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंच रहा है, इससे हम सभी वाकिफ हैं। लेकिन, कृषि ही एक ऐसा सेक्टर है, जिससे सिर्फ फायदे ही फायदे हैं। खेतों में उपजने वाले अनाजों से पर्यावरण को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आज अगर कुपोषण की समस्या बच्चों में तेजी से बढ़ रही है तो इसके पीछे कहीं ना कहीं पौष्टिक भोजन का अभाव और रसायन युक्त और नकली सामानों का इस्तेमाल बढ़ना बहुत बड़ा कारण है ।अगर आज हमारे घर में गाय और अन्य पशु संसाधन हो तो हमें शुद्ध और पौष्टिक भोजन मिलेगा, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा है।

पशुपालकों को बीमा युक्त पशुधन दे रही

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में किसानों- पशुपालकों को अब जो भी पशु धन दिए जा रहे हैं उसका बीमा सरकार करा रही है ताकि, बीमारी अथवा किसी अन्य वजह से अगर पशु की मौत हो जाती है ,तो किसानों को किसी तरह का आर्थिक नुकसान नहीं उठाना पड़े।

राज्य आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बढ़ रहा

मुख्यमंत्री ने कहा कि दुग्ध, मछली, मीट आदि के उत्पादन में राज्य आत्मनिर्भर बने, इसके लिए सरकार ठोस कदम उठा रही है। उन्होंने विश्वास जताया कि अगले 5 से 7 वर्षों में झारखंड इनके उत्पादन में ना सिर्फ आत्मनिर्भर बनेगा बल्कि निर्यात करने में भी सक्षम होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि दुग्ध संग्रहण कार्य को बढ़ाना देने के लिए सरकार कार्य योजना बना रही है। इसके तहत किसानों और पशुपालकों को दूध के लिए बाजार उपलब्ध कराने के साथ उचित कीमत भी दिया जा रहा है। साथ ही उन्हें दुग्ध उत्पादन के लिए प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है।

कृषि मंत्री सहित से भी मौजूद

इस अवसर पर कृषि मंत्री श्रीमती शिल्पी नेहा तिर्की, विधायक श्री सुरेश बैठा, सचिव अबू बकर सिद्दीक, निदेशक पशुपालन श्रीमती किरण पासी, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के अध्यक्ष डॉ मीनेश शाह और झारखंड मिल्क फेडरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर जयदेव विश्वास विशेष रूप से मौजूद थे।

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