रांची। संतोष कॉलेज ऑफ टीचर्स ट्रेनिंग एंड एजुकेशन की बी.एड. एवं डीएलएड इकाई ने हूल दिवस के उपलक्ष्य में परिचर्चा का आयोजन 30 जून को किया। इस अवसर पर अमर वीर शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो सहित हज़ारों वीर शहीदों को नमन करते हुए पुष्पांजलि अर्पित की गई।
विद्यार्थियों ने बताया कि हूल क्रांति वर्ष 1855 में सिदो और कान्हू मुर्मू के नेतृत्व में संथाल आदिवासियों द्वारा अंग्रेजों और ज़मींदारी अत्याचार के विरुद्ध प्रारंभ की गई थी। भोगनाडीह गांव से इस विद्रोह की शुरुआत हुई। यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक महत्वपूर्ण अध्याय माना जाता है, जिसने अंग्रेजी शासन की नींव को चुनौती दी।

हूल क्रांति केवल कर या ज़मींदारी के शोषण के खिलाफ आंदोलन नहीं था, बल्कि यह सामाजिक न्याय, स्वाभिमान और स्वतंत्रता के लिए जनजागरण का प्रतीक था। इसने आगे चलकर पूरे देश में औपनिवेशिक शासन के खिलाफ संघर्ष की चेतना को प्रेरित किया।
मौके पर उपस्थित व्याख्याताओं ने बताया कि हूल क्रांति हमें सामाजिक समरसता, आत्मनिर्भरता और अपने अधिकारों की रक्षा की प्रेरणा देती है। सिदो-कान्हू जैसे महापुरुषों का बलिदान हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे नई पीढ़ी तक पहुँचाना हमारा कर्तव्य है।
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