
रांची। गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग सभा, कृष्णा नगर कॉलोनी ने 12 जून को छठे नानक श्री हरगोविंद साहिब महाराज के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में विशेष दीवान सजाया गया। विशेष दीवान की शुरुआत सुबह आठ बजे भाई महिपाल सिंह द्वारा आसा दी वार कीर्तन से हुई।
गुरुद्वारा के हेड ग्रंथी ज्ञानी जिवेंदर सिंह ने कथावाचन करते हुए साध-संगत को बताया कि सिख पंथ के छठे गुरु श्री हरगोविंद साहिब का जन्म बडाली (अमृतसर) में हुआ था। वे पांचवें गुरु श्री अर्जुन देवजी के पुत्र थे। उनकी माता का नाम गंगा था। उन्होंने अपना ज्यादातर समय युद्ध प्रशिक्षण एवं युद्ध कला में लगाया। बाद में वे कुशल तलवारबाजी, कुश्ती व घुड़सवारी में माहिर हो गए।
उन्होंने ही सिखों को अस्त्र-शस्त्र का प्रशिक्षण लेने के लिए प्रेरित किया। सिख पंथ को योद्धा चरित्र प्रदान किया.उनको मीरी-पीरी के मालिक इसलिए कहा जाता है कि उन्होंने मीरी और पीरी के प्रतीक के रूप में दो तलवारें धारण कीं। एक सांसारिक शक्ति को और दूसरी आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाती है। यह अवधारणा सिखों को एक संतुलित जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है, जिसमें वे सांसारिक जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए आध्यात्मिक विकास को भी महत्व देते हैं।
हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह ने “पंज प्याले पंज पीर, छठम पीर बैठा गुरु भारी….” और “जमया पूत भगत गोबिंद का परगटया सभ मेह लिखिया धुर का….” एवं “वडी आरजा हरगोबिंद की सुख मंगल कल्याण विचारया….” व “मेरा सतगुर रखवाला होआ धार कृपा प्रभ हाथ दे राखीआ हर गोविंद नवा निरोआ…..” शबद गायन कर संगत को गुरबाणी से जोड़ा।
छह पौढ़ी श्री अनंद साहिब जी के पाठ, अरदास, हुक्मनामा के साथ दीवान की समाप्ति सुबह 10.30 बजे हुई। इसके बाद संगत के बीच कढ़ाह प्रसाद का वितरण किया गया। इस अवसर पर सत्संग सभा द्वारा मिस्सी रोटी, प्याज का अचार एवं रायता का लंगर चलाया गया। सत्संग सभा के सचिव अर्जुन देव मिढ़ा ने संगत को श्री हरगोबिंद साहिब जी के प्रकाश की साखी सुनाई। प्रकाश पर्व की बधाई दी।
सत्संग सभा के मीडिया प्रभारी नरेश पपनेजा ने बताया कि स्त्री सत्संग सभा द्वारा श्री हरगोबिंद साहिब जी का प्रकाश पर्व 26 जून को मनाया जाएगा। प्रकाश पर्व को लेकर स्त्री सत्संग सभा द्वारा 16 जून से 26 जून तक रोजाना दोपहर 3.30 बजे से शाम 4.45 बजे तक श्री सुखमनी साहिब का सामूहिक पाठ होगा।
लंगर की सेवा में अशोक गेरा, मोहन काठपाल, अनूप गिरधर,बिनोद सुखीजा, हरीश मिढ़ा, नानक चंद अरोड़ा, महेंद्र अरोड़ा, राजकुमार सुखीजा और जोड़े की सेवा में बसंत काठपाल, पुरुषोत्तम सरदाना, गरिमा अरोड़ा की विशेष भागीदारी रही।
आज के दीवान में अध्यक्ष द्वारका दास मुंजाल, सुरेश मिढ़ा, हरविंदर सिंह बेदी, नरेश पपनेजा, हरगोबिंद सिंह, महेश सुखीजा, हरविंदर सिंह हन्नी, नीरज गखड़, अश्विनी सुखीजा, मोहन लाल अरोड़ा, रमेश गिरधर,वेद प्रकाश मिढ़ा, लक्ष्मण दास मिढ़ा, जीवन मिढ़ा, केशव दास मक्कड़, इंदर मिढ़ा, रमेश पपनेजा, सुभाष मिढ़ा, हरजीत बेदी, जीतू अरोड़ा, बबलू थरेजा, भगवान दास मुंजाल, अमरजीत सिंह मुंजाल, राजेंद्र मक्कड़ शामिल हुए।
इसके अतिरिक्त किशन गिरधर, गुलशन मुंजाल, मनीष मल्होत्रा, कमल अरोड़ा, मनीष गिरधर, हैप्पी अरोड़ा, बबली दुआ, गीता कटारिया, मंजीत कौर, शीतल मुंजाल, बंसी मल्होत्रा, खुशबू मिढ़ा, दुर्गी देवी मिढ़ा,बिमला मिढ़ा, नीता मिढ़ा, इंदु पपनेजा, रेशमा गिरधर, ममता सरदाना, मीना गिरधर, नीतू थरेजा, अंजू पपनेजा, श्वेता मुंजाल, कुसुम पपनेजा, उषा झंडई, पूनम मुंजाल, नीतू किंगर, ममता थरेजा, सुषमा गिरधर, किरण अरोड़ा, रानी मुंजाल, गोबिंद कौर, गूंज काठपाल समेत अन्य श्रद्धालु शामिल हुए।
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