
- सरकार को लाखों का राजस्व घाटा
गुमला। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के निर्देश पर सरकार ने 10 जून से 15 अक्टूबर तक नदियों से बालू खनन पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। इस बाबत उपायुक्त ने भी आदेश जारी कया था। इसके बावजूद गुमला जिले के जारी प्रखंड स्थित लावा नदी के कमलपुर बालू घाट से धड़ल्ले से अवैध बालू का उठाव जारी है। इससे इलाके में कई तरह की चर्चा होने लगी है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार ऐसा प्रतीत होता है कि जहां पूरे झारखंड में बालू खनन पर प्रतिबंध है, वहीं लावा नदी में मानो कोई विशेष निविदा (टेंडर) लगी हुई है। क्योंकि यहां अवैध बालू उठाव थमने का नाम नहीं ले रहा है। बताया जाता है कि अहले सुबह से ही अवैध बालू उठाव का धंधा शुरू हो जाता है, जो देर शाम तक जारी रहता है।
लावा नदी से उठाव किया गया यह अवैध बालू ट्रैक्टरों के माध्यम से पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के जशपुर तक पहुंचाया जा रहा है। एनजीटी द्वारा मानसून के दौरान नदियों के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने के लिए बालू खनन पर रोक लगाई गई है। इसके बावजूद, जारी प्रखंड में इस रोक का खुले तौर पर उल्लंघन किया जा रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि थाना क्षेत्र में बालू का धंधा कभी मंदा नहीं होता। बालू तस्करों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे किसी भी स्थिति में अपनी धंधा चालू रखते हैं। चिंताजनक बात यह है कि जिन अधिकारियों पर इस अवैध खनन को रोकने की जिम्मेदारी है, वे या तो निष्क्रिय बने हुए हैं या इसमें कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। इस स्थिति से सरकार को प्रतिमाह लाखों रुपये के राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है।
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