मैथिली को झारखंड की नियोजन नीति में शामिल करने की मांग

झारखंड
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  • ग्रामीण विकास मंत्री से मिले मैथिली भाषा संघर्ष समिति के सदस्‍य

रांची। मैथिली भाषा संघर्ष समिति, झारखंड के तत्वाधान में जमशेदपुर एवं रांची के प्रमुख मैथिली संस्था का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल 20 जून को ग्रामीण विकास कार्य सह पंचायती राज विभाग की मंत्री दीपिका पांडेय सिंह से मिला। उनसे राज्य में द्वितीय राजभाषा का स्थान प्राप्त मैथिली को झारखंड की नियोजन नीति में सम्मलित करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा।

समिति के संयोजक अमरनाथ झा ने मंत्री के समक्ष राज्य में मैथिली भाषा की स्थिति की विस्तृत जनकारी देते हुए बताया कि‍ मैथिली को नियोजन नीति में शामिल करने की मांग राज्य के प्रमुख जिला रांची, जमशेदपुर, बोकारो, धनबाद के साथ राज्य के अन्य जिलों में निवास कर रहे 20 लाख से भी ज्यादा मैथिली भाषा-भाषियों के सम्मान एवं अस्मिता से जुड़ा है। संयुक्त बिहार में हुए भाषा सर्वेक्षण के अनुसार संपूर्ण संथाल परगना प्रमंडल मैथिली भाषाई क्षेत्र रहा।

ज्ञात हो कि वर्तमान में राज्य की नियोजन नीति में राज्य में 12 और जिले में 15 क्षेत्रीय एवं जन-जातीय भाषा को स्थान प्राप्त है। इसमें मैथिली जैसी पौराणिक भाषा जिसकी अपनी लिपि हैं और अति-समृध साहित्य हैं, को स्थान नहीं मिला। यह मैथिलों के लिए ना सिर्फ क्षोभ का कारण हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी भेदभाव का कारण बनेगा।

प्रतिनिधिमंडल के अनुसार मंत्री ने सूक्ष्मता से विषय को सुना-समझा। अपने स्तर से मांग को पूरा कराने के प्रयास का आश्‍वासन भी दिया|  प्रतिनिधिमंडल के विशेष आग्रह पर मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भेट भी कराई, उन्होंने मांग पूरी करने का आश्‍वासन दिया|

इस मौके पर प्रतिनिधिमंडल में अनूप मिश्रा (ज्योति) अध्यक्ष, विद्यापति परिषद बगबेड़ा, जमशेदपुर, पंकज कुमार झा, प्रदेश सचिव, अंतर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद, झारखंड, मिथिला सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष मोहन ठाकुर, महासचिव धर्मेश झा (लड्डु), उपाध्यक्ष कैलाश झा, कार्यकरी सदस्य दिलीप झा, अंतर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद सरायकेला के अध्यक्ष हंसराज जैन एवं महासचिव राजीव रंजन झा, राजकुमार मिश्र, झारखंड मैथिली मंच, रांची आदि मौजूद थे।

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