
- रांची और पश्चिमी सिंहभूम जिले के 170 से अधिक यूनिसेफ बाल पत्रकारों ने लिया भाग
रांची। यूनिसेफ झारखंड ने नवभारत जागृति केंद्र (एनबीजेके) के सहयोग से रांची के होटल हॉलीडे होम में बाल पत्रकारों के सम्मेलन “वॉयस ऑफ चेंज’’ का आयोजन किया। इस समिट में रांची एवं पश्चिमी सिंहभूम जिलों के 10 प्रखंडों के 170 से अधिक बाल पत्रकार शामिल हुए, जिन्होंने अपनी कला, एवं रचनात्मकता के माध्यम से बाल अधिकार के मुद्दों को प्रस्तुत किया और सभी बच्चों के लिए बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण और संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित किया।
इस कार्यक्रम में जेईपीसी के राज्य परियोजना निदेशक शशि रंजन, यूनिसेफ की झारखंड प्रमुख डॉ. कनीनिका मित्र, रांची डीएसई बादल राज, डीईओ विनय कुमार, डीईओ (पश्चिमी सिंहभूम) टोनी प्रेमराज टोप्पो, सुश्री आस्था अलंग (संचार विशेषज्ञ, यूनिसेफ), सुश्री पारुल शर्मा (शिक्षा विशेषज्ञ, यूनिसेफ) के अलावा आनंद अभिनव, (कार्यक्रम निदेशक, एनबीजेके) सहित रांची जिले के विभिन्न प्रखंडों के बीईईओ, बीपीओ, शिक्षकों और अभिभावक ने भी भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए शशि रंजन ने बाल पत्रकारों के साहस और अभिव्यक्ति क्षमता की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘‘इन बाल पत्रकारों द्वारा प्रदर्शित आत्मविश्वास और जागरुकता अत्यंत प्रशंसनीय है। बच्चों के अधिकारों और उनके मुद्दों पर आधारित इनकी सफलता की कहानियां सिर्फ उनके व्यक्तिगत विकास को ही नहीं दर्शातीं, बल्कि समुदायों में उनके द्वारा लाए गए सकारात्मक परिवर्तन को भी प्रदर्शित करती है। यह पहल दर्शाती है कि यदि बच्चों को सही मौका और सहयोग मिले तथा उन्हें नेतृत्व का मंच दिया जाए, तो वे असाधारण क्षमताएँ दिखा सकते हैं। यह हमें याद दिलाता है कि बच्चों की आवाजों को सुनना अधिक समावेशी और उत्तरदायी व्यवस्था के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।”
यूनिसेफ झारखंड की प्रमुख डॉ. कनीनिका मित्र ने कहा कि सभी बच्चों को अपनी बातों को रखने और उन्हें सुने जाने का अधिकार प्राप्त है। बच्चों को प्राप्त यह अधिकार केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि एक सार्थक भागीदारी होनी चाहिए। बाल पत्रकार कार्यक्रम इस बात का सशक्त उदाहरण है कि जब बच्चों को उचित मंच तथा अवसर और समर्थन मिलता है, तो वे अपने परिवार, स्कूल और समुदायों में वास्तविक बदलाव ला सकते हैं। बच्चों की समस्याओं एवं चुनौतियों को लेकर उनके अनुभव हमें एक अनोखा दृष्टिकोण प्रदान कर सकते हैं, जिसे अक्सर बड़े लोग नजरअंदाज कर देते हैं। अब समय आ गया है कि हम बच्चों की आवाजों को नीति निर्माण और शासन प्रणाली का अभिन्न हिस्सा बनाएं।”
यूनिसेफ झारखंड की संचार विशेषज्ञ सुश्री आस्था अलंग ने बाल संवाददाता कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कहा कि यह कार्यक्रम रांची एवं पश्चिमी सिंहभूम जिले के 22 प्रखंडों के 115 सरकारी विद्यालयों में लागू किया जा रहा है, जिनमें पश्चिमी सिंहभूम के 15 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) भी शामिल हैं। यह एक ऐसा मंच है जहां बच्चों को न केवल उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित किया जाता है, बल्कि उन्हें स्वयं और दूसरे बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए एक सशक्त प्रवक्ता बनने का सशक्त माध्यम भी प्रदान किया जाता है।
सुश्री आस्था अलंग ने कहा, “बाल पत्रकार कार्यक्रम एक ऐसा मंच है जहां बच्चे केवल बाल अधिकारों को लेकर सूचना प्राप्त नहीं रहते, बल्कि बदलाव के वाहक भी बनते हैं। समुदाय स्तरीय जागरूकता कार्यक्रमों एवं अभियानों के माध्यमों से ये बच्चे नुकसान पहुंचाने वाली सामाजिक मान्यताओं एवं कुरीतियों को चुनौती दे रहे हैं और बाल अधिकारों को लेकर चेतना का संचार कर रहे हैं और कार्रवाई के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं।”
इस अवसर पर झारखंड के हर स्कूल में बाल पत्रकार अवधारणा को लागू करने के विषय पर एक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया, जिसमें शिक्षा अधिकारियों, यूनिसेफ के प्रतिनिधियों तथा बाल पत्रकारों ने भाग लिया। चर्चा का उद्देश्य था कि किस प्रकार इस पहल को झारखंड के सभी विद्यालयों में संस्थागत रूप दिया जाए, ताकि बाल अधिकारों को बढ़ावा मिले और बाल हितैषी वातावरण का निर्माण किया जा सके।
इस कार्यक्रम में एक रोचक पैनल चर्चा भी आयोजित की गई, जिसका संचालन यूनिसेफ की शिक्षा विशेषज्ञ सुश्री पारुल शर्मा ने किया। इसमें विनय कुमार (जिला शिक्षा पदाधिकारी, रांची), बादल राज (जिला शिक्षा अधीक्षक, रांची), टोनी प्रेम राज टोप्पो (जिला शिक्षा पदाधिकारी, पश्चिमी सिंहभूम) और एक चाइल्ड रिपोर्टर, अनन्या प्रिया ने भाग लिया। इस चर्चा में झारखंड के सभी स्कूलों में चाइल्ड रिपोर्टर पहल को संस्थागत रूप लागू करने की अवधारणा पर विचार किया गया, ताकि बाल अधिकारों को बढ़ावा दिया जा सके और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर समुदाय को सक्रिय किया जा सके।
कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने कई रचनात्मक गतिविधियों – जैसे कि थीम आधारित गीत व कविताएं, सक्सेस स्टोरीज, समुदायों में परिवर्तन को लेकर अपने अनुभव तथा नुक्कड़ नाटक आदि के माध्यम से बच्चों में आत्मविश्वास, संवाद कौशल और जागरुकता को प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का समापन बाल पत्रकार अनुप्रिया और वैष्णवी द्वारा प्रस्तुत “हम होंगे कामयाब” के भावनात्मक प्रदर्शन से हुआ, जिसके द्वारा बाल पत्रकारों के आशा, जुझारूपन और सामूहिक संकल्प की भावना को प्रदर्शित किया गया।
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