- 17 मार्च, 2025 को सांसद ने लोकसभा में उठाया था मुद्दा
- कल्याण कोष व द्विपक्षीय समझौतों को किया जाए मजबूत
छपरा (सारण)। सारण के सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने बिहार के लाखों प्रवासी श्रमिकों की पीड़ा को संसद के पटल पर मजबूती से उठाया। इस मुद्दे को 17 मार्च, 2025 को लोकसभा में नियम 377 के तहत रखा था। चर्चा की थी कि खाड़ी देशों में प्रवासी श्रमिक अमानवीय परिस्थितियों में कार्य कर रहे हैं। अनेक मामलों में उनकी मौत के बाद शवों को स्वदेश नहीं भेजा जाता, जिससे उनके परिवारों को भीषण मानसिक और आर्थिक संकट झेलना पड़ता है।
श्री रूडी ने बताया कि 2012 से 2018 के बीच खाड़ी देशों में 24,570 भारतीय श्रमिकों की मृत्यु हुई, जो कि प्रतिदिन औसतन 10 मौतें है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि मृतकों के परिवारों के लिए एक विशेष कल्याण कोष स्थापित किया जाए। द्विपक्षीय समझौतों को सशक्त बनाया जाए, जिससे श्रमिकों की सुरक्षा, सम्मान और अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें।
इस पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर द्वारा हाल ही में भेजे गए विस्तृत उत्तर में सरकार की ओर से इस विषय पर किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी गई। विदेश मंत्री ने बताया कि भारतीय दूतावासों और उच्चायोगों में स्थापित भारतीय सामुदायिक कल्याण निधि के माध्यम से प्रवासी भारतीयों को संकट की स्थिति में सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें कानूनी सहायता, शव की वापसी, आपातकालीन चिकित्सा देखभाल, और आवश्यक स्थिति में जुर्माना अदा करना भी शामिल है।
इसके अतिरिक्त भारत सरकार द्वारा श्रमिक कल्याण समझौते, प्रवासन और गतिशीलता साझेदारी समझौते और सामाजिक सुरक्षा समझौते जैसे उपायों के माध्यम से प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। खासकर महिला श्रमिकों और घरेलू कामगारों के लिए केवल राज्य सरकार द्वारा अधिकृत एजेंसियों के माध्यम से विदेश भेजे जाने की नीति और न्यूनतम आयु 30 वर्ष की शर्त भी लागू की गई है, ताकि उनका शोषण रोका जा सके।
बिहार में प्रवासी श्रमिकों के संबंध में श्री रूडी के प्रयास लगातार सक्रिय और व्यावहारिक रहे हैं। उनके कार्यालय द्वारा संचालित नियंत्रण कक्ष में प्रतिदिन बिहार के विभिन्न जिलों, जैसे भोजपुर, सिवान, गोपालगंज, वैशाली, दरभंगा, मधुबनी, शिवहर, रोहतास आदि से सहायता के लिए कॉल प्राप्त होते हैं। विदेशों में फंसे श्रमिकों, वेतन विवाद, मृत्यु की स्थिति में शव लाने, महिला श्रमिकों की सुरक्षा जैसी समस्याओं को प्राथमिकता से सुलझाया जाता है।
कई मामलों में तो श्री रूडी ने स्वयं पहल कर परिजनों को राहत दिलाई है। इसी प्रकार का मामला सिवान निवासी एक प्रवासी श्रमिक की दुबई में मृत्यु के बाद श्री रूडी ने भारतीय दूतावास से समन्वय कर ना केवल शव स्वदेश मंगवाया बल्कि आर्थिक सहायता भी दिलाई। भोजपुर जिले के एक युवक की ओमान में मृत्यु होने पर सांसद ने तत्परता से शव मंगवाने की प्रक्रिया को तेज किया।
दरभंगा जिले के एक श्रमिक की कतर में कानूनी फंसावट पर कानूनी सहायता उपलब्ध करवाई गई। गोपालगंज निवासी युवक की केरल के कोच्चि में दुर्घटना में मृत्यु पर सांसद ने स्थानीय प्रशासन से समन्वय कर शव को हवाई मार्ग से परिजनों तक पहुंचाया। वैशाली, मधुबनी और रोहतास के भी कई मामलों में सांसद ने विदेश मंत्रालय, दूतावासों और राज्य सरकारों से समन्वय कर पीड़ित परिवारों को सहायता दिलवाई है।
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